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ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

 

ये कहानी है पुराने भारत की, वो भारत जो गांव मे बसता था.. जब रियासत ठकुराइ चला करती थी. हालांकि भारत आज़ाद हो चूका था फिर भी ठाकुर जमींदारों का दबदबा बराबर बना हुआ था.

उत्तरप्रदेश का एक बड़ा सा गांव "विषरूप"

कहते है कभी यहाँ इच्छाधारी नागो कि बस्ती थी.

अब ये बात सच है या झूठ ये तो वक़्त ही बताएगा.

अब यहाँ ठाकुर ज़ालिम सिंह का दबदबा है.

गांव  शुरुआत मे ही एक हवेलीनुमा बिल्डिंग है जो कि ठाकुर ज़ालिम सिंह का रिहाईशि इलाका है.








है तो हवेली ही लेकिन भव्यता का अहसास समय के साथ

खो गया.

आते है कहानी पर


सन 1952

पात्र परिचय

1. ठाकुर ज़ालिम सिंह

बड़ी बड़ी मुछे, रौबदार चेहरा, उम्र 46

Hight 6फ़ीट

लेकिन किस्मत  कि मार देखो लुल्ली सिर्फ 3इंच कि.

परन्तु ये इसे अपनी कमी नहीं मानते उल्टा घमंड मे रहते है.



2. डॉ असलम खान

ठाकुर साहेब के दोस्त सलाहकार मित्र सब यही है.

Hight 5फीट, दिखने मे चौमू

सूरत से काले, इस वजह से कभी इनकी शादी ही नहीं हो पाई.

लेकिन प्रकृति ने लंड तूफानी दिया है पुरे 9 इंच का मोटा जैसे कोई छोटी लोकि लगा के घूमते हो.

परन्तु सब बेकार कोई औरत लड़की इनके पास फटकती भी नहीं है.

हाय रे किस्मत



3. इच्छाधारी नाग नागेंद्र

ये हवेली के नीचे ही रहता है या यु कहिये कि इसके घर

के ऊपर ही हवेली बनी है

कहानी मे इसकी डिटेल मिलेगी  रहस्यमय प्राणी है ये

कहानी का.


.4. ठकुराइन रूपवाती

उम्र 35 साल, ठाकुर साहेब कि पहली पत्नी

नाम रूपवती लेकिन असल मे मोटी काली कलूटी

साइज 40-34-42

चलती है तो गांड धचक धचक के हिलती है

ठाकुर साहेब रंग और मोटापे कि वजह से रूपवती

को छोड़ चुके है


4. ठकुराइन कामवती

उम्र 21साल,नाम कामवती लेकिन काम क्रीड़ा से बिल्कुल अनजान.

साइज बिल्कुल जानलेवा 34-28-34

लेकिन इसे क्या पता कि कितनी जानलेवा है, कभी खुद को

अच्छे से देखा ही नहीं.


सब किस्मत के मारे किसी को कुछ दिया तो उसका उपयोग छीन लिया.

क्या खेल है नियति का.


क्या ये नियति बदलेंगी? क्या क्या खेल दिखाएगी?

पता करेंगे इस कालजायी सफर मे


और भी चरित्र है कहानी के जो समय के साथ प्रस्तुत होंगे

अपडेट के लिए बस थोड़ा इंतज़ार



चैप्टर-1,ठाकुर कि शादी

समय 9:0am, दिन सोमवार,  ठाकुर कि हवेली


डॉ असलम- ठाकुर साहेब अब आपको शादी कर लेनी चाहिए, ठकुराइन रूपवती को गये साल भर होने को आया.

ठाकुर :- अरे रे ये किसका नाम ले लिया, उस काली कलूटी का नाम लेना जरुरी था? उसका

नाम सुन के ही घिन आती है मुझे, साली एक बच्चा तक ना दे सकी मुझे.


असलम जनता था कि कमी ठाकुर साहेब मे ही है लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे,

जबकि असलियत ही यही थी कि ठाकुर साहेब का 3इंच का लंड कभी ठकुराइन रूपवती कि योनि को भेद ही नहीं पाया.

तो बच्चा क्या खाक होता.

लेकिन ठहरे ठाकुर जमींदार ऐसे कैसे खुद को कमजोर मान ले.


ठाकुर:- अच्छा असलम तुम बता रहे थे कि कोई लड़की देखि है पास के गांव मे?


डॉ असलम :- हाँ ठाकुर साहेब पास के ही गांव "कामगंज" मे ही रामनिवास किसान है उसकी ही

एकलौती बेटी है कामवती, बहुत सुन्दर है आप देखेंगे तो मना नहीं कर पाएंगे शादी को.


ठाकुर :- अच्छा ऐसी बात है, अपने लंड को मसलते हुए कुछ सोचने लगे मुझे अपना वंश बढ़ाने के लिए ही शादी करनी है


अब ठाकुर साहेब को कौन बताये भले कितनी ही शादी कर लो वंश नहीं बढ़ने का.


खेर निश्चय हुआ कि अगले मंगलवार को अच्छा मुहर्त देख के लड़की देखने चला जाये

संदेशा भिजवा दिया जाये रामनिवास किसान के घर



गांव कामगंज

रामनिवास का घर

दिन बुधवार

तीन सदस्य ही रहते है घर मे,


1.रामनिवास

उम्र 50 साल

एक गरीब किसान है, शराब का आदि लंड अब खड़ा भी नहीं होता

इसने जीवन मे सिर्फ एक ही अच्छा काम किया है कि कामवती को पैदा किया



2. रतिवती

उम्र 45साल

ये है रामनिवास कि पत्नी और कामवती कि माँ

दिखने मे एकदम गोरी,बिल्कुल सुडोल वक्ष स्थल गोलाकार गांड

गांव मे बहुत लोग दीवाने है इनके.

स्वभाव से चंचल प्रकृति कि है

साइज 36-30-40


कामवती को ये रूप अपनी माँ से ही मिला.

रतिवती का सपना था खूब पैसे वाले से शादी हो, खूब चुदाई हो

लेकिन हाय रे किस्मत कुछ ना मिला जवानी ऐसे ही धूल खाते निकल रही है



घोड़े पे बैठा एक संदेश वाहक एक कच्चे पक्के मकान कि तरफ बढ़ा जा

रहा था.

घर के मुख्य द्वार पे पहुंच के आवाज़ लगाई

राम निवास अरे राम निवास

अंदर से बड़बड़ाती हुई रतिवती बाहर आई "ये आदमी दिन मे भी शराब पी के पडा रहता है घर बार कि कोई चिंता ही नहीं है.

दरवाजा खोलते हुए "हाँ भैया क्या काम है बताइये?"

संदेश वाहक - आपके लिए ठाकुर ज़ालिम सिंह का संदेशा आया है.

इतना सुनते ही रतिवती थर थर कापने लगी, क्युकी ठाकुर ज़ालिम सिंह कि आस पास के गांव मे बहुत धाक थी

ठाकुर के आदमियों ने ऐसी दहशत बना रखी थी कि सभी को लगता था ठाकुर ज़ालिम सिंह वाकई कुर्र किस्म का इंसान है.


रतिवती भागती हुई, बदहास अंदर आई अरे उठ जा कामवती के बापू, उठ जा क्या कर आया तू? ठाकुर साहेब का संदेशा आया है..

उठ हरामी मरवा दिया तेरी शराब ने आज हम सबको, हे भगवान बचा ले हमें

रामनिवास:- अरी क्यों मरी जा रही है? क्या हुआ? भूकंप आ गया क्या?

रतिवती :- हरामखोर होश मे आ ठाकुर साहेब के यहाँ से संदेशा आया है, देखो क्या लिखा है

इतना सुनते है रामनिवास का सारा नशा काफूर हो गया हाथ कापने लगे, जल्दी से पलंग से उठ बैठा

और संदेश रतिवती के हाथ से छीन के पढ़ने लगा.

जैसे जैसे पढ़ता गया वैसे वैसे हवा मे उड़ने लगा, बांन्छे खिलने लगी.

मारे खुशी के जोर जोर से हॅसने लगा

हाहाहाहाहाहाहाहाहा हाहाहाह्हहा

मजा आ गया..


मजा आ गया

रतिवती अपने पति को इस तरह देख के अचंभित होती है कि इन्हे क्या हो गया है

कभी शराब पी के ऐसी हरकत तो नहीं कि

रतिवती :- अरे क्या हुआ कामवती के बापू ये पागल जैसे क्यों हस रहे हो? ऐसा क्या लिखा है?

रामनिवास :- अरी कामवती कि अम्मा सुनोगी तो तुम भी पागल हो जाओगी.

रतिवती :- ऐसा क्या लिखा है?.

रामनिवास :- ठाकुर साहेब अपनी कम्मो से शादी करना चाहते है, हमारी तो किस्मत खुल गई कम्मो कि अम्मा.

ऐस सुन के रतिवती खुशी से झूम उठी

वाह वाह हमारी किस्मत ऐसा रंग लाएगी ऐसा सोचा नहीं था कभी.

रामनिवास :- ठाकुर साहेब लिखते है कि वो अगले मंगलवार को हमारे घर आएंगे कम्मो (कामवती) को देखने.

रतिवती :- हे भगवान आपका लाख लाख धन्यवाद अपने हमारी कम्मो कि किस्मत मे ये सुख लिखा.


परन्तु ये खबर... सिर्फ रामनिवास तक ही नहीं दो और लोगो तक पहुंच चुकी थी

डाकू रंगा बिल्ला... जो कि आस पास के गांव के खूंखार डाकू थे

इनका काम ही था आस पास केगांव मे शादी ब्याह उत्सव पे नजर रखना ताकि शादी के वक़्त लूट पाट मचा सके

अब ये रंगा बिल्ला कौन है?क्या शादी रोक देंगे ठाकुर क ि

या हो के ही रहेगी ठाकुर ज़ालिम सिंह कि शादी?

कहानी जारी है

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