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मेरी बेवफा बीवी

 मेरी बेवफा बीवी


शक इंसान को जानवर बना देता है, उसके सोचने समझने कि क्षमता को कमजोर कर देता है

ये कहानी है एक ऐसे इंसान कि जो अपनी नेक, वफादार, पतीव्रता बीवी पर शक कर बैठा.

शक क्या कर बैठा अपितु उसकी हत्या का प्लान बना बैठा.

हाय रे मर्द....भगवान उसे सुन्दर बीवी ना दे.

लेकीन शक का कारण होता है,कोई वजह होती है.

क्या वजह थी या फिर वाकई मे उसकी बीवी चरित्रहीन बेवफा थी.

कर्तव्य और बेवफाई मे डूबी एक मार्मिक कहानी प्रस्तुत है.


शनिवार कि रात.

जयपुर शहर का व्यस्त इलाका.

राबता बार....

बार क्या टुटा फूटा सा बाड़ा, बोले तो सस्ती दारू का अड्डा.


"हेलो रमेश हिचहम....कहाँ है "

फोन पर "आगया बस बाइक लगा रहा हूँ "

टक....से फोन कट गया,उस आदमी ने फ़ोन टेबल पे ही पटक मारा, ना जाने कितना गुस्सा भरा था उसके कलेजे मे..

उसके हाथ सामने पड़ी देशी दारू कि बोत्तल पर जमते चले गये.....गट गट गट....और उसके हलक के नीचे कब उतर गये पता हूँ ना चला.


"रवि रवि.....भाई इतनी जल्दी क्यों बुलाया,और ये क्या हालत बना रखी है तूने " शायद ये आदमी था जिस से थोड़ी देर पहकमले रवि ने बात कि थी..

रवि 30 साल का बांका नौजवान सुन्दर चुस्त दुरुस्त लड़का.

"आ बैठ रमेश तु मेरा सच्चा यार है हिचहह.....ले तु भी पी " नशे मे झूमते रवि ने रमेश कि तरफ बोत्तल को सरका दिया.

सरका क्या दिया लगभग धक्का दे दिया.

"ये क्या रवि...तूने बहुत ज्यादा पी ली है लगता है " रमेश उसके हाथो को थाम सामने बैठ गया.

"तुझे पता है रमेश ये क्या है?"

"हाँ दारू है जिसे तूने ज्यादा पी लिया है "

"नहीं साले ये वफ़ा है,ये हमदर्द है, हमराही है, ये वो चीज है जो सच बोलती है, कभी दगा नहीं करती, हिचहह...."

रवि बड़बड़ाये जा रहा था.

"भाई तूने ज्यादा पी ली है, तु घर चल मेरे साथ " रमेश ने रवि को उठाना चाहा.


"छोड़ मुझे नहीं जाना घर "

"क्यों क्या हुआ भाभीजी से झगड़ा हुआ क्या "

रवि चुप रहा...बस बोत्तल को निहारते रह गया.

"समझ गया....झगड़ा हुआ है, कोई नी यार पहले भी तो होता था, चल घर चलते है "

रमेश ने फिर उठाना चाहा.

"कहाँ ना नहीं जाना " इस बार रवि कि नजरें ऊपर को उठ गई.

एक बार को रमेश के प्राण काँप गए उन नजरों को देख कर, जैसे खून उतर आया था उन आँखों मे.


"कककक....क्या हुआ रवि ऐसे क्यों बात कर रहा है "


" और कैसे बात करू हिचहह....वो मेरी बीवी नहीं है साली "

"कैसी बात कर रहा है रवि आज के पहले तो तूने ऐसा कभी नहीं कहाँ?"

"आज के पहले मुझे उसके बारे मे पता भी ती नहीं था ना "

"क्या पता नहीं था,क्या कहना चाहता है साफ बोल "


"हिचह्ह्ह्हहम्म्म.. साली मेरी बीवी मुझे धोखा दे रही है, मुझसे बेवफाई कर रही है, मेरी सुन्दर बीवी मुझे छल रही है गट..गट..गट... " रवि एक सांस मे बोल गया और साथ ही बोत्तल को मुँह से लगा वो जहर हलक मे उतार लिया.


"ये...ये....ये....कैसी बात कर रहा है तु रवि,तुझे बहुत नशा हो गया है चल मेरे साथ घर "

"कहा ना नहीं जाना हिचहह्म्म..., तु जनता है मैंने कितना प्यार किया था उस से, एकदम दिल से, सच्चा वाला "


मुझे आज भी याद है सन 2017 मे जब मै पहली बार उसके घर गया था.

मेरी नयी नयी नौकरी लगी थी.

रवि बोलते जा रहा था,ना जाने किस दुनिया मे था वो, रमेश मे उसको रुकता ना पाकर एक पेग अपने लिए भी बना लिया.

"हम्म्म्म.....भाई जनता हूँ 10 बार बता चूका है तु "


"मेरी नयी नयी नौकरी लगी थी "लाइफ इन्शुरन्स" मे, वो पहला दिन था जब मै उसके घर गया था.

टिंग टोंग....टिंग टोंग......हाँ जी आप कौन?

एक बला कि खूबसूरत लड़की ने दरवाजा खोला, लम्बे बाल, बड़ी आंखे, लाल होंठ, सुराहीदार गर्दन. मेरी नजर वही उलझ गई.




मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.

"ओह हेलो....मिस्टर आप कौन?"

"मै...मै...मै..कौन?"

"अरे मै आप से पूछ रही हूँ "

"मै भी मुझसे पूछ रहा हूँ "

"अजीब आदमी हो?" धाड़....से मेरे मुँह पर ही दरवाजा बंद हो गया.


दरवाजे कि धमक से जैसे मै होश मे आया " रवि आज काम का पहला दिन है क्या कर रहा है तु "

टिंग टोंग....टिंग टिंग.....

दरवाजा फिर खुला सामने वही खूबसूरत अप्सरा "अब क्या है? कोई काम हो तो बोलो वरना निकलो "

"हाय गुस्से मे भी क्या हसीन लगती है "

"आपने कुछ कहाँ?"

"वो...वी...नहीं नहीं मै इन्शुरांस एजेंट हूँ रवि आहूजा अपने फ़ोन किया था ऑफिस मे "

"ओहम्म..तो वो आप है,आइये आइये...." वो अप्सरा मुड़ के चल पड़ी.pooja-hedge-ass



पीछे मै किसी तीर से घायल खरगोश कि तरह उसकी बलखाई कमर को निहारता उसके पीछे पीछे सोफे पर कब जा बैठा मुझे पता ही नहीं चला.

"Mr.....अअअ....क्या नाम बताया अपने?"

"रररऱ.....रररऱ....."

"ये कैसा नाम है?"

"रवि आहूजा हमफ....हमफम्म्म..." नाम बताने मे रवि कि ऐसी हालत हुई जैसे मिलो कि दौड भाग के आया हो.

"मै ऋतू...ऋतू तनेजा, मुझे लाइफ इन्शुरन्स चाहिए "

"अअअ....आपको....आप तो जवान है अभी?" जोज़ मुँह मे आया बोल गया.

"आ...हाँ...जीवन बीमा,अब मौत का तो कोई भरोसा नहीं ना mr...."

"Mr.रवि...रवि आहूजा " इस बार रवि मे अपना नाम खुद पूरा किया.

"हाँ तो प्लान बताइये?"

"आप जल्दी मे है?"

"नहीं...क्यों क्या हुआ?"

"वो...वो....एक गिलास पानी मिल जाता तो..."

"ओम..हाँ...sorry मै भूल गई " ऋतू तुरंत उठी और चल पड़ी

बाजु मे ही रसोई थी.

रवि उस मादक हिरणी को जाता देखता रह गया बस.

"ये लीजिये...."

"क्या "

"पानी..." ऋतू सामने पानी लिए खड़ी थी ना जाने वो कब जा कर वापस भी आ चुकी थी.

गट...गट...गटक...रवि ऐसे पानी पी गया जैसे ये दुनिया मे बचा आखिरी पानी का गिलास है,अब नहीं मिलेगा.

"हाँ तो mr.रवि मुझे जीवन बीमा करवाना है "

"आपको कोई बीमारी है? जान को खतरा है?" रवि ने बैग से फॉर्म निकालते हुए पूछा.

"नहीं ऐसी कोई बात नहीं,लेकीन मेरा मानना है मौत कभी भी आ सकती है "

रवि हैरान था सामने बैठी अप्सरा मौत कि बात भी ऐसे कर रही थी जैसे ख़ुशी कि बात हो.

या यूँ कहिए ऋतू का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि उसका सबकुछ अच्छा ही था,

"जी जी....ऋतू जी सही कहा आपने " रवि बस उसकी सुंदरता मे खोया हुआ था पहले ही दिन अपनी job से गद्दारी कर रहा था.

कुछ ही मिनटों मे रवि ने सरे प्लान,पेपर उसके सामने पड़ी टेबल पर बिछा दिये.

ऋतू आगे को हो उन प्लान्स पर नजर मार के रही थी,इसी उपक्रम मे उसके उन्नत उरोज कुर्ते से बाहर छलांग लगा देते तो कभी वापस चले जाते.

रवि ने अभी तक जो खूबसूरती देखी थी ये उनसे कहीं ज्यादा बढ़ कर थी,ऐसा मनमोहक दृश्य शायद स्वर्ग के लोगो के लिए भी उपलब्ध ना हो.

"Mr.रवि मुझे ये प्लान पसंद है " ऋतू ने पेपर पे झुके झुके ही कहा

सामने सन्नाटा

"Mr.रवि....ऋतू ने नजर उठा कर देखा रवि सोफे पर किसी मुर्दे कि तरह चिपका पड़ा था, आंखे पथरा गई थी,

उसकी नजरों का पीछा करते ऋतू अपने ही स्तनों कि घाटी मे पहुंच गई., जहाँ उसके नीचे झुकने कि वजह से खूबसूरती साफ झलक रही थी.

ये अहसास होना ही था कि ऋतू तुरंत सीधी हो गई, उसके चेहरे पे गुस्से और शर्म कि लकीर साफ देखी जा सकती थी.maria-saree



"वो...वो...वो...मै..मै कौनसा प्लान " रवि जैसे होश मे आया..

उसकी हालत ऐसी थी जैसे फ़िल्म का क्लिमैक्स चल रहा हो और तभी पर्दा गिर गया हो.

"हाँ...mr..ये प्लान 5 करोड़ का प्लान "

"क्या...ये...5 करोड़ " रवि बुरी तरह चौंक पड़ा.

"आप आज ही भर्ती हुए है क्या कम्पनी मे? हर बात पे उछल पड़ते हो "

"वो...वो...जी..जी..हाँ आज ही आया हूँ,आप पहली कस्टमर है "

रवि को जैसे अपने कानो पे विश्वास ही नहीं हो रहा था, आज नौकरी का पहला दिन और पहले ही दिन सीधा 5 करोड़ कि पॉलिसी

"हे भगवान कहीं मै सपने मे तो नहीं हूँ "

"आप फिर कहीं खो गये है?"

"नननन....नहीं तो क्या मै जान सकता हूँ आपको 1करोड़ कि पॉलिसी कि क्या जरूरत है? कौन है आपके घर मे?"

रवि खुद को समझदार जाताना चाहता था ये सवाल कर के.

"मै और मेरे पापा बस "

"आये....बात कुछ हजम नहीं हो रही मैडम "

"क्या हजम नहीं हो रहा?"

"आप अभी जवान है,आपका सगे वाला सिर्फ आपके पिता जी है, आपको जीवन बीमा चाहिए, मतलब आप मरी तो पैसे आपके पिता जी को मिलेंगे, लेकीन आपके पिता जी बूढ़े ही होंगे "

"हाँ तो " ऋतू ने सहजता से जवाब दिया

"तो क्या सीधा सा गणित है आपके पिताजी करेंगे क्या इतने पैसो का?"

"Mr...रवि..आपको ऐसा क्यों लगता है के मै कल ही मर जाउंगी "

ऋतू के मात्र इस उत्तर से रवि बोखला गया, खुद को समझदार दिखाने के चक्कर मे उसने बेवकूफी दिखा दि थी.

"वो...वो...मै..मै.."

"Mr.रवि अभी मुझे शादी करनी है,बच्चे होंगे, बच्चों के बच्चे होंगे बहुत वक़्त है "

"लेकिंनन....लेकीन...."

"लेकीन यहीं ना मौत कभी भी आ सकती है हाहाहाहाहाँ...."ऋतू खिलखिला के हॅस पड़ी.

यहाँ वो हसीं कि इधर रवि सब कुछ हार बैठा अपना दिल दिमाग़ वजूद सब कुछ....

बस फिर ये सिलसिला ऐसा चला कि मुझे उस से प्यार हो चला और उसे मुझसे,

दिसंबर 2017 को हमें शादी कर ली.


वो हमेशा मुझसे ज्यादा समझदार थी रमेश, मुझे लगता था ये सब मेरे अधिक प्यार का नतीजा है,

"आगे तो बोल ये कहानी तु मुझे 36 बार सुना चूका है, "तु और तेरी सुन्दर बीवी "


"रमेश रमेश यहीं तो मेरी सबसे बड़ी गलती है कि मेरी बीवी हद से ज्यादा सुन्दर है, मै उसके सामने मुरझाया हुआ झाड़ हूँ, वो खिलता गुलाब है.

मै खीचड़ हूँ तो वो कमल है.

"अबे तु तो शायर भी हो गया है हाहाहाहा..."

"साले तुझे मज़ाक लग रहा है,मज़ाक चल रहा है यहाँ....." रवि कि आँखों मे खून उतर आया साथ ही आँसू

आज रवि कि आँखों मे पहली बार आँसू थे.

"क्या बात है रवि सच मे कोई सीरियस बात है क्या "

" रमेश ऋतू के खुल्ले विचार, मॉर्डन पहनवा, बेबाक अंदाज़ सब मुझे अच्छा लगता था, वो आज कि आधुनिक लड़की लगती थी मुझे, मै हमेशा उसके सामने बेवकूफ ही साबित हुआ.

"मेरे भाई रमेश......मै घुट घुट कर जी रहा हूँ, मै सजा काट रहा हूँ, मैंने गलती कि जो एक बला कि खूबसूरत लड़की से शादी कि, मुझे लगता था जो भी कुछ हो रहा है वो सामान्य है.

लेकीन अब उन बातो को सोचता हूँ तो शत प्रतिशत यकीन होता जाता है मेरी बीवी बेवफा है, उसने गद्दारी कि मेरे साथ.



मेरी बीवी बेवफा निकली रमेश,मेरी बीवी बेवफा निकली......सुबुक सुबुक....सुबूक्क....

रवि टेबल पर सर पटक रोने लगा.

रमेश हक्का बक्का वही खड़ा था.

"तत्तत.....तु इतना यकीन से कैसे कह सकता है?"

जवाब मे रवि ने अपना मोबाइल सरका दिया,

रमेश ने हैरानी से उस फ़ोन कि स्क्रीन ऑन कर दि जो सामने था वो देखते ही होश उड़ते चले गये, जैसे जैसे इमेज आगे बढ़ती वैसे वैसे रमेश के तन बदन मे आग लगती चली गई.

"ये....ये.....भाई रवि ये कैसे हो सकता है, कहाँ से आई ये फोटो तेरे पास?"

"सब बताऊंगा पहले वो ला जो तुझसे मंगाया था मैंने" रवि ने टेबल से उठ आँसू पोछ लिए.

रमेश ने डरते डरते इधर उधर देखते हुए अपनी shirt को ऊपर गया दिया, उसकी पैंट मे फंसी एक लोहे कि नाल चमक उठी.

"ला इधर ला " रवि ने झट से हाथ बड़ा दिया 2 पल मे ही उसके हाथ मे एक गन चमक उठी.

रवि के चेहरे पर खून उतर आया था.

प्यार मै इंसान हैवान भी हो जाता है, प्यार मे इंसान खुद के प्यार को मारने पे भी उतारू हो जाता है.

रवि लगभग दौड़ता हुआ बार से बाहर निकल गया.

"नहीं रवि रुक जा भाई....सुन मेरी बात " रमेश भी दौड़ता हुआ रवि पर लपका.

नशे मे लड़खड़ता रवि दौड़ा जा रहा था.

"ऋतू तु बेवफा है, मेरी बीवी बेवफा है, हिचह्ह्हह्म....हिचहहह....."

कौन है ये ऋतू? और ये रवि किस बेवफाई कि बात कर रहा है?

क्या था रवि के मोबाइल मे?

क्या हुआ 5 करोड़ कि पॉलिसी का?

बने रहिये बेवफाई जारी है.....




1 comment:

  1. bahut badhiya kahani likhi hai.... pls post next part

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