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मेरी बीवी अनुश्री भाग -18

अपडेट -18



बहार मौसम ख़राब हो चला था,आसमान मे बादल छाने लगे थे.

अंदर अनुश्री बाथरूम मे अभी भी फर्श पे ही बैठी थी उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अभी क्या हुआ है उसके साथ.

जैसे तो सुध बुध खो चुकी थी अपनी, आँखों के आगे शून्य था उसे जरा भी अंदाजा नहीं था को इस अवस्था मे उसे उसका पति या कोई और देख लेता तो क्या होता.

आंखे पथरा गई थी, उसके दिल मे भावनाओं का तूफान उठ रहा था "सॉरी मंगेश मै बहक गई थी,लेकिन....लेकिन क्यों?

मुझे तुम्हारे साथ होना चाहिए था"

यहाँ अनुश्री के दिल मे ज्वार भाटा उठ रहा था वही अब्दुल रूम नंबर 102 से जल्दी मे जो भी हाथ लगा उठा लिया था उसे डर था कि इतनी रात को किसी ने उसे इस तरह देख लिया तो नौकरी पे बन आएगी.

जल्दी से भागता अब्दुल जैसे ही सीढ़ी उतरने के लिए रूम से निकल के आगे बढ़ा ही था कि "भद्देड़ाकककककक....से किसी से टकरा गया.

"अरे भाई हिचच.....देख के चलो कहाँ तूफान मचा रखा है " मंगेश राजेश नशे मे चूर सीढ़िया चढ़ रहे थे

दोनों के पैर लड़खड़ा रहे थे जो इस बात का सबूत थे कि अन्ना कि पार्टी जोरदार रही.

"माफ़..माफ़ करना साहेब " अब्दुल के हाथ से अनुश्री के कपडे कुर्ता और लेगी छूट के सीधा मंगेश के पैरो पे जा गिरी.

अब्दुल कि तो घिघी बंध गई उसे एक पल को अपनी मृत्यु ही नजर आ गई

"अरे अब्दुल मियां ये लड़कियों के कपड़े कब से पहनने लगे  हाहाहाहाहा....." मंगेश ने झुक के अनुश्री के कपडे उठा लिए.

"साहेब वो...वो....तो बस " अब्दुल को समझ ही नहीं आया कि क्या बोले

राजेश :- जाने तो भैया हीच....हिचम्म....उसका परसनल मैटर है.

"सही कह रहा भाई....लो अब्दुल मियाँ अपने कपडे हाहाहा...." हाय रे शराब मंगेश अपनी ही बीवी के  कपडे ना पहचान सका.

मंगेश ने खुद वो कपडे अब्दुल के हाथो मे थमा दिए और एक कुटिल मुस्कान के साथ दोनों ही अपने अपने रूम कि तरफ चल दिए.

अब्दुल हक्का बक्का खडा था उसे अपनी किस्मत पे यकीन नहीं हो रहा था कितनी आसानी से बच निकला था.

ठाक कि आवाज़ के साथ ही जैसे ही कमरे का दरवाजा बंद हुआ अब्दुल किसी आंधी कि तरह वहा से उड़ चला सीधा पंहुचा बाथरूम के आगे जहाँ देखा तो हैरान रह गया अनुश्री अभी भी बाथरूम का दरवाजा खोली बैठी थी.

"मैडम....मैडम " कोई जवाब नहीं

अनुश्री सर झुकाये बैठी थी उसके कोई होश नहीं था.

"मैडम.... आपके पति आ गए है " अब्दुल ने जोर से कहाँ

अनुश्री एक दम से नींद से जागी,हड़बड़ा के खड़ी हो गई उसकी पैंटी अभी भी उसके घुटनो मे ही फसी हुई थी

अनुश्री ने सर उठा के देखा सामने अब्दुल उसकी कुर्ती और लेगी लिए खड़ा था.

अनुश्री ने झट से अब्दुल के हाथ से अपने कपडे छीन लिए और भड़ाक से दरवाजा बंद हो गया.

अनुश्री होश मे आ चुकी थी सामने शीशे मे चमकते अपने अक्स को देखा तो उसके दिमाग़ मे अभी अभी बीती सभी यादें ताज़ा हो गई.

"मैडम जी जल्दी नहा लीजियेगा लगता है मौसम ख़राब होने वाला है " अब्दुल कि बहार से आती आवाज़ ने अनुश्री का ध्यान शीशे से हटाया.

बहार के तूफान का तो पता नहीं लेकिन अनुश्री के जीवन मे तूफान आ चूका था.

उसे याद आय कि अब्दुल कह रहा था कि उसका पति आ गया है

अनुश्री ने फटाफट खुद को साफ किया,वो इतना शर्मिंदा थी कि उसने शीशे कि तरफ से मुँह फैर लिया था वो खुद को देखना भी नहीं चाहती थी,कैसे वह इतना गिर गई थी कि किसी अनजान मर्द के सामने वो अर्ध नग्न हालत मे सख्तलित हो गई थी.

अब्दुल वहा से जा चूका था करीबन 5मिनट के बाद ही अनुश्री बाथरूम से निकली चारो तरफ रात का सन्नाटा था हवाएं जोर से चल रही थी, ठंडी समुन्दरी हवाएं जो अनुश्री के तन बदन पे आ के लग रही थी.

उसके हाथ मे उसके गीले कपडे थे,सर झुकाये वो अपने कमरे कि ओर चल पड़ी


वाकई बहार मौसम ने करवट बादल ली थी पानी से भीगी हुई अनुश्री को ठण्ड का अहसास हो रहा था.

उसके मन मे दुविधा थी कि कैसे वो अपने पति से आंखे मिलाएगी, मंगेश पूछेगा कि ये गीले कपडे कैसे हुए तो क्या जवाब देगी, क्या वो सच सच बता दे कि उसने मंगेश को धोखा दिया है,

लेकिन कैसा धोखा उसने क्या किया है? वो तो अपने पति का साथ ही चाहती थी,उसका पति तो खुद उसे छोड़ के ना जाने कहाँ चला गया था.

लेकिन मै बहक गई थी,मैंने धोखा दिया मंगेश को

"लेकिन अब्दुल ने तो हाथ भी नहीं लगाया मुझे " अनुश्री ने खुद के तर्क को ही काट दिया

तो क्या हुआ मै बहक तो गई थी मै अपनी गांड को घिस रही थी अब्दुल के लंड को देखते हुए "

जैसे ही अब्दुल के लंड का ख्याल अनुश्री के मन मे आया वही दृश्य दौड़ गया उसकी नजरों के सामने जब अब्दुल थूक गिरा के लंड घिस रहा था.

एक अजीब सी ठंडी लहर अनुश्री के बदन से टकरा गई.

सामने ही रूम नंबर 102 था वो कब पहुंच गई पता ही नहीं चला

"नहीं...नहीं...आज मै सच बता दूंगी,मुझे नहीं रहना यहाँ " चकर्रर्रर्रफर........करता हुआ दरवाजा खोल दिया अनुश्री ने

"मंगेश......i am sorry " रूम मे अंधेरा था अनुश्री को सिर्फ एक आकृति पलंग पे पीठ टिकाये बैठी दिख रही थी.

अनुश्री ने गहरी सांस ली वो निश्चय कर चुकी थी की उसे क्या करना है.

"सॉरी मंगेश...सॉरी मै बहक गई थी तुम्हारी बीवी गैर मर्द के साथ बहक गई थी मुझे माफ़ कर दो " अनुश्री पलंग के पास आ खड़ी हुई

"खरररररर......खरररररर......."अनुश्री को कोई जवाब नहीं मिला उसके कानो मे खर्राटो कि आवाज़ पड़ी.

अनुश्री ने झट से पास ही टेबल लैंप को ज़ला दिया

रूम हल्की रौशनी से नहा उठा, सामने मंगेश पलंग के सिरहाने पीठ टिकाये लुड़का पड़ा था

खर्राटे भर रहा था.

अनुश्री को रूम मे एक अजीब सी गंध महसूस हुई जिसे वो भली भांति पहचानती थी.

"शराब कि गंध?" अनुश्री ने मंगेश कि तरफ हताश भरी नजर से देखा और बाथरूम कि ओर चल दी.

उसके दिल मे अभी भी कोतुहाल मचा हुआ था "ये क्या करने जा रही थी तू इतनी सी बात के लिए अपना हसता खेलता जीवन बर्बाद कर रही थी, देख उसे तो कोई फ़िक्र ही नहीं है तेरी, कैसे नशे मे धुत पड़ा है और तूने थोड़ी मस्ती कर भी ली तो क्या बिगड़ गया? मौज मस्ती के लीये ही तो आई है तू यहाँ"

अनुश्री के अन्तःमन ने उसे झकझोड़ के रख दिया. अनुश्री को अहसास हुआ कि वो सिर्फ पकडे जाने के डर से सच बताने चली थी.

और कहते है ना चोर तभी चोर है जब वो पकड़ा जाये.

उसने खुद को संभाल लीया था, बाथरूम से आते वक़्त उसके दिल से बोझ हल्का हो चूका था

दिल शांत था,उसने दरवाजा बंद किया और मंगेश के जूते उतारने लगी ताकि उसे अच्छे से सुला सके.

अनुश्री ने अंदर पैंटी ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसे अभी भी नंगेपन का अहसास हो रहा था, झुकने के वजह से टाइट लेगी उसके गांड पे कस गई, एक दम टाइट.

"मैडम आपकी गांड कितनी खूबसूरत है " याकायाक उसके जहन मे अब्दुल के कहे शब्द गूंज उठे. उसने पीछे पलट के देखा कोई नहीं था.

एक पल मे ही उसे याद आ गया कैसे अब्दुल बड़े मोटे लंड को सहला रहा था.

"उम्म्म........कितना मोटा था " अनुश्री के मुँह से हलकी सिसकारी के साथ निकल गया.

अनुश्री ने मंगेश के जूते उतार दिए, उसका ध्यान मंगेश कि पैंट कि तरफ चला गया जहाँ सब कुछ सपाट था कोई हलचल नहीं, ना जाने क्यों अनुश्री वहा उभार देखना चाहती थी मोटा उभार.


अनुश्री ने धीरे से मंगेश कि पैंट का हुक खोल दिया ना जाने क्या था उसके दिल मे क्या देखना चाहती थी.

अनुश्री के सामने अब्दुल का काला मोटा भयानक लंड नाच रहा था,परन्तु वो उस लंड के मालिक के रूप मे अपने पति मंगेश को देखना चाहती थी.

हाय रे संस्कारी नारी

"टक....टक....कि आवाज़ के साथ अनुश्री पैंट के बटन खोल चुकी थी इस अदने से काम मे ही उसकी सांसे फूल गई थी उसकी दिल कि धड़कन तेज़ हो चली

उसे उम्मीद थी जो वो चाहती है वही देखेगा.

"सररररररररर......से अनुश्री ने जोर लगा के मंगेश कि पैंट को खिंच दिया,जोर कुछ ज्यादा ही लग गया था मंगेश कि पैंट के साथ साथ उसकी पैंटी भी खिंच के नीचे सरक गई. ऐसी हरकत आज से पहले उसने कभी नहीं कि थी

अनुश्री के सामने मंगेश का मुरझाया सूखा सा छोटा लंड लहरा गया

अनुश्री का दिल बैठ गया,एक पल मे ही शीशे के महल धाराशाई हो गए.

सामने बिल्कुल छोटा सा मुरझाया लंड लुड़का पड़ा था.

"ये तो अब्दुल मिश्रा जैसा नहीं है?" अनुश्री अपने पति के लंड कि तुलना करने लगी थी..


"तो क्या आज तक मै इसी से...." अनुश्री आगे सोच भी ना पाई

उसके ख्याल उसके मन मे मजबूत मोटा भयानक काला लंड था.

अनुश्री ने कोतुहाल वंश अपने हाथ को आगे बढ़ा दिया.

आज से पहले उसने कभी मंगेश के लिंग को देखा तक नहीं था छूना तो दूर कि बात है

उसका दिल धाड़ धाड़ कर चल रहा था.

उसने झट से मंगेश के लंड को पकड़ लिया  वो मंगेश के लंड को करीब से देखना चाह रही थी

दूर से शायदछोटा दिख रहा हो

" ये तो बिल्कुल भी वैसा नहीं है उनका कितना भयानक था " पूरा लंड मात्र दो उंगलियों मे समा गया था.

अनुश्री ने मंगेश के लंड कि चमड़ी को पकड़ नीचे कर दिया, चमड़ी नीचे होते ही एक छोटा सा मूंगफली के आकर का गुलाबी सी चीज बहार आ गई.

अनुश्री का दिल पूरी तरह से बैठ गया था.

वो चुपचाप उठ खड़ी हुई और मंगेश के बगल मे उसकी तरफ पीठ कर लेट गई.

उसके मन मस्तिक मे आज तूफान शांत होने का नाम ही नहीं के रहा था.

"तो क्या....तो क्या...मै आजतक इसी लिंग से सम्भोग करती रही? मै भी कैसी स्त्री हूँ मैंने कभी मंगेश का लिंग देखा ही नहीं" अनुश्री आज खुद को कोष रही थी

उसका दिल बार बार उस से सवाल पूछ रहा था " अब्दुल और मिश्रा का इतना मोटा क्यों है? अब्दुल के आगे का हिस्सा इतना फुला हुआ क्यों था? मुझे कभी ऐसा क्यों महसूस नहीं हुआ जो अब्दुल मिश्रा के साथ हुआ.

मंगेश का ऐसा क्यों नहीं है? उनके लंड देखते ही क्यो मेरे पसीने छूट जाते है " अनुश्री आज एक नये अध्याय से परिचित हुई थी

लंड के प्रकार नामक अध्याय से, वासना के अध्याय से,चरम सुख के अध्याय से.

अनुश्री अपनी जांघो को दबाये प्रश्न लिए कब सो गई उसे पता ही नहीं चला.


मात्र इतने से अनुश्री कि हालात ख़राब थी.

तब क्या होगा जब अब्दुल और मिश्रा उसे सम्भोग का असली सुख देंगे.

बने रहिये....कथा जारी है

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