मेरी बीवी अनुश्री भाग -20
अपडेट -20
रूम नंबर 103
"उठो माँ कब तक सोती रहोगी " राजेश ने रेखा को हिलाते हुए कहा
रेखा जो कि अभी भी बिस्तर पे ही पड़ी थी वो सपनो मे अपनी हसीन जवानी को जी रही थी.
सपाट गोरे लेट ले नाभि साफ अपनी सुंदरता बिखेर रही थी.
एक बल को राजेश भी अपनी माँ कि खूबसूरती को देखता ही रह गया
उसकी कानो मे अन्ना के काहे शब्द गूंजने लगे "अभी तो जवान है तुम्हारी माँ "
राजेश भी अपनी माँ को सोता देख इस बात से इंकार नहीं कर पाया "अभी भी कितनी सुन्दर है माँ "
"उम्म्मममम.....क्या हुआ बेटा " रेखा ने अपनी आंख डबडबाते हुए कहा
"चलना नहीं क्या माँ घूमने? हम लोग लेट हो रहे है मंगेश भैया का फ़ोन आ रहा है बार बार " राजेश जो कि तैयार हो चूका था
रेखा उठी,अंगाड़ाई ली कि तभी उसे कल रात का वाक्य याद आ गया उसकी पैंटी के गिलापन उस याद को कम ही नहीं होने दे रहा था " राजेश बेटा मेरे पाँव मे अभी भी दर्द है थोड़ा आज मै आराम ही करना चाहती हू "
रेखा कि बात सुन राजेश का मुँह ही लटक गया
" क्या माँ आप भी,ठीक है फिर नहीं जाये आज " राजेश वही पलंग पे बैठ गया.
"ओ मेरा बेटा....मैंने कहा कि मै नहीं जाउंगी तू तो जा, तेरे तो मौज मस्ती के दिन है "
रेखा ने राजेश के लटके हुए चेहरे को आने हाथ से उपर उठाते हुए बोला.
"लेकिन माँ...आपको छोड़ के....? "
"कोई बात नहीं बेटा आज आराम कर लुंगी तो कल चलेंगे ना वैसे भी आज मौसम ख़राब है दर्द और बढ़ जायेगा " रेखा ने अपनी दलील दे मुस्कुरा दि
अब ये मुस्कुराहट वाकई बेबसी कि थी या फिर उसके दिमाग़ मे कुछ और ही था.
रेखा ही जाने भला औरत का मन भी कोई पढ़ पाया है.
राजेश :- ठीक है माँ अपना ध्यान रखना मै आ जाऊंगा शाम तक कोई जरुरत हो तो अन्ना को फ़ोन कर लेना.
राजेश जल्दी मे था भड़ाक से कमरे का दरवाजा बंद हुआ,कमरे मे रह गई सिर्फ अकेली रेखा.
होटल मयूर के बाहर
"अरे कहा रह गया ये राजेश,अब फ़ोन भी नहीं उठा रहा? बस मे जगह नहीं मिलेगी फिर, एक तो ये मौसम आज ही बारिश होनी थी " मंगेश खुद से ही बड़बड़ा रहा था
अनुश्री :- अरे आ जायेगा चिंता क्यों करते हो, बारिश को क्यों दोष देते हो इतना रूहानी मौसम तो है.
अनुश्री मंगेश कि ओर देखते हुए आंख मार देती है,
अनुश्री का दिल आज ख़ुश था उसे ये मौसम रोमांटिक सा फील दे रहा था,कितने दिनों बाद वो ऐसे मौसम मे अपने पति के साथ निकली थी.
"सॉरी......सो..सो....सॉरी...भैया "पीछे से राजेश लगभग भागता सा आया
" सॉरी भैया लेट हो गया चलो जल्दी चलो बस ना छूट जाये" राजेश बस मे घुसने लगा
मंगेश :- अरे अरे....आराम से माँ जी कहाँ है?
राजेश :- ओ...मै तो भूल ही गया माँ को कल रात मोच आई थी उसमे दर्द है थोड़ा वो होटल मे ही रुकना चाहती है.
राजेश का ऐसा बोलना था कि दो लोगो के चेहरे पे चमक आ गई.
पहली अनुश्री :- कोई बात नहीं हम लोग चलते है ना देखो बारिश और ज्यादा ना होने लगे.
अनुश्री कि तो मन कि मुराद पूरी हो गई थी वो सिर्फ अपने पति का साथ चाहती थी उसे कही ना कही लग रहा था कि माँ जी आ गई तो उसे उन्ही के साथ बैठना पड़ेगा,मंगेश के साथ समय ही नहीं बिता पायेगी.
लेकिन शायद उसके निर्णय कि भगवान ने भी कदर कि थी.
दूसरा पास मे खड़ा बहादुर जो रात तक अंदर ही अंदर डरा हुआ था लेकिन सुबह तक उसकी कोई शिकायत नहीं आई थी "इसका मतलब मैडम जी को कोई आपत्ति नहीं जो भी कल रात हुआ?"
बहदुर अपनी ही सोच मे गुम था कि
"ऐ बहादुर गेट लगा चल, बस रवाना होने वाली है, मैडम जी आप भी चलिए अंदर "
कडक़दार आवाज़ से सभी का ध्यान उस तरफ गया.
मंगेश :- अरे अब्दुल तुम ड्राइवर कि यूनिफार्म मे?
अब्दुल :- क्या साहेब मैंने बताया तो था मै ही हू यहाँ का आलराउंडर बस क्या मै तो घोड़ी भी दौड़ा लेता हू.
अब्दुल ने अनुश्री को ऊपर से नीचे घूरते हुए कहा.
अनुश्री को अब्दुल कि नजारा साफ अपने बदन पे चुभती हुई महसूस हुई.
"कही मैंने ये कपडे पहन के गलती तो नहीं कर दि....नहीं..नहीं....ये सिर्फ मेरे मंगेश के लिए है "
अनुश्री ने अपने मन से अब्दुल को नकार दिया यहाँ उसके लिए कुछ नहीं था.
भरी बरसात मे भी एक बार को अनुश्री के माथे पे पसीने कि लकीर तैर गई.
"बैठिये मैडम जी बस निकलने का टाइम हो रहा है " अब्दुल कि कड़कदार आवाज़ से अनुश्री का ध्यान भंग हुआ
अनुश्री,मंगेश और राजेश बस मे चढ़ गए...अब्दुल ने ड्राइविंग सीट संभाल ली थी.
तो बोलो....भगवान जगन्नाथ कि......जयययययय.....
बस अपनी मंजिल कि ओर दौड़ चली थी.
बहादुर कि नाईट ड्यूटी खत्म हो गई थी वो भी अपने कमरे कि ओर बढ़ चला था.
रात भर जगने के बावजूद उसकी आँखों मे नींद नहीं थी,
थी तो एक चमक....
लेकिन...लेकिन ये क्या बहादुर का कमरा तो नीचे है वो ऊपर कहाँ जा रहा है?
तो क्या होगा बस मे अब?
अनुश्री को मंगेश का साथ मिलेगा?
बहादुर कितनी बहादुरी दिखा पायेगा?
बने रहिये....कथा जारी है....
तो अब से शुरू होता है बस का हिचकोले भरा सफर...
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