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मेरी बीवी अनुश्री भाग -15


अपडेट -15


अनुश्री ने दिल से मन्नत मांगी "भगवान मेरी कोख भर देना "

और आंखे खोल दी जैसे जी आंखे खोली सामने ही अब्दुल खड़ा मुस्कुरा रहा था,कैसे उसने अनुश्री कि मुराद सुन ली हो.

"हटो सामने से " अनुश्री ने चौकते हुए बोली अनुश्री ने वापस आंख बंद कर सर झुका दिया.

दर्शन हो चुके थे.

"वाह अब्दुल मियां तुम तो बड़े काम के आदमी हो चुटकी मे काम करा दिया " मंगेश ने अब्दुल के गले मे हाथ डाल कहा.

सभी लोग मंदिर से बाहर के रास्ते पे थे.

"साहब मै वो हर काम कर सकता हूँ जो आपके बस का नहीं है " अब्दुल ने जवाब मंगेश को दिया परन्तु देख अनुश्री कि तरफ ही था.

ना जाने क्या भेद था उसकी बातो मे.

सूरज सर पे चढ़ आया था दोपहर हो चुकी थी

चारो होटल पहुचे तो पाया कि होटल को सजाया जा रहा है,गुब्बारे फ्लावर इत्यादि से.

मंगेश :- अरे आज क्या बात है ये रौनक कैसी होटल मे?

"अय्यो आज हमारा बर्थडे होना" पीछे से अन्ना ने जवाब दिया को को रिसप्शन से निकल के आया था.

मंगेश :- अरे वाह अन्ना मुबारक हो, मंगेश के बाद सभी ने अन्ना को विश किया

अन्ना :- आप लोग भी शाम कि पार्टी मे आना.

चारो ही अन्ना कि बात पे एक दूसरे को देखने लगे जैसे संकोच कर रहे हो अनजान आदमी कि पार्टी मे?

"मेरा कोई परिवार तो है नहीं,होटल है लोग ही मेरे अपने है " अन्ना ने जैसे उनके मन कि बात समझ ली हो

अन्ना ने ये बात रेखा कि तरफ देख के कही थी.

रेखा जो अन्ना कि नजरों को भाम्प रही थी उसे पहली बार अन्ना कि नजरों मे अपने लिए इज़्ज़त दिखी.

राजेश :- ठीक ही तो कह रह है अन्ना जी,क्यों मंगेश भैया


मंगेश :- हाँ भाई बात तो ठीक है वैसे भी पार्टी तो होटल मे ही है ना.पार्टी मे क्या हर्ज़ है वैसे भी हम लोग मौज मस्ती के लिए ही आये है.

चारो अपने आने कमरे मे चले गए.

रूम नंबर 102

"क्या जरुरत थी पार्टी मे जाने का बोलने कि " अनुश्री मंगेश पे भुंभूनाती हुई बोली

मंगेश :- अरे मेरी जान हम मौज मस्ती के लिए ही तो आये है

"लेकिन मुझे आपके साथ टाइम स्पेंट करना था,ना कि किसी पार्टी मे "

मंगेश :- तो क्या हुआ हम साथ ही तो है

अनुश्री बुरी तरह पैर पटकती हुई बाथरूम कि ओर चल दी,

"कैसा ना समझ है मंगेश,मै यहाँ गर्भवती होने कि कामना ले के आई हूँ इसे पार्टी कि पड़ी है"

बोलते हुए अनुश्री ने अपने बालो को खोल पीछे को कर दिया,बाथरूम मे एक खूबसूरती सी फ़ैल गई.

"मुझे बीच जाना था,समुन्द्र देखा ही कहाँ है मैंने पास से " अनुश्री ने चेहरे पे ठन्डे पानी के छींटे मारे.

ठंडा पानी मुँह ले पड़ते ही अनुश्री का गुस्सा कम होने लगा,

'"कोई बात नहीं मेरा पति नासमझ है तो क्या हुआ, कोई स्त्री अपने पे आ जाये तो अच्छे अच्छे ऋषियों कि तापसाया भंग हो जाती है " तौलिये से अपने चेहरे को पोछ लिया,

चेहरा वापस से दमक पड़ा एक दम गोरा उजला खूबसूरत

शीशे मे खुद के अक्स को देख अनुश्री को एक पल को गर्व महसूस हुआ "मेनका बनना होगा अनुश्री तुझे भी अपने पति के लिए "

मुस्कुराती अनुश्री बाथरूम से बाहर आ गई, वो निश्चित कर चुकी थी कि वो यहाँ मौजमस्ती के लिए ही तो आई है.

"पार्टी शाम कि है रात तो अपनी है" अनुश्री के चेहरे पे कामुक मुस्कान थी.


रूम नंबर 103

"कैसा लगा माँ मंदिर जा के " राजेश ने अपनी माँ से पूछा जो कि आते ही बिस्तर पे लेट गई थी.

रेखा :- बहुत अच्छा बेटा मेरी तो दिल कि मुराद पूरी कर दी तूने बस अब मुझे कोई बढ़िया सुशील बहु मिल जाये तो गंगा नहा लू.

"क्या माँ आप भी " राजेश पिनक गया.

रेखा :- अच्छा बेटा सुनो शाम को पार्टी मे तुम चले जाना मेरा मन नहीं है, और मेरा क्या काम उस शोर शरबे मे?

राजेश :- क्या माँ आप भी एन्जॉय करो ना

रेखा :- बेटा थक गई हूँ मंदिर कि लाइन मे खडे खड़े पाँव दर्द कर गए है तुम चले जाओ और कोई अच्छी लड़की भी देख लेना

रेखा ने अपने बेटे को छेड़ दिया.

"क्या माँ....आप नहीं मानेगी " पैर पटकता राजेश कमरे से बाहर को चला गया.

पीछे रेखा सोचती रह गई "कितना भोला है मेरा बेटा,इतना भी नहीं समझता अरे यही तो वक़्त है मेरे जैसा बूढ़ा हो जायेगा तब इस शरीर के क्या फायदा?"


सामने ही शीशे मे रेखा को अपना वजूद देख रही थी,"क्या फायदा इस शरीर का?"

ये विचार आते ही उसे ट्रैन कि घटना ने घेर लिया "उस भिखारी को तो ऐसा नहीं लगा,और ये होटल का अन्ना सुबह से मुझे ही देख रहा था,पार्टी के लिए भी ऐसे बोल रहा था जैसे कोई मुझसे ही विशेष आग्रह कर रहा हो "

रेखा के विचार उसे झकझोड़ रहे थे,वो शीशे मे दीखते अपने अक्स को निहार रही थी "मेरा शरीर इतना भी तो बूढ़ा नहीं हुआ है,मैंने भी तो जीवन के 15 साल बेकार कर दिए,

लेकिन कर भी क्या सकती थी"

विचारों मे खोई रेखा के बदन से एक ठंडी समुन्दरी हवा ने थपेड़ा मार दिया जो कि खिड़की खुली होने से अंदर को आई थी, हवा से अस्त व्यस्त पल्लू निकल के कमर मे आ गिरा, बिस्तर के सिरहाने पे पीठ टिकाये बैठे रेखा के बड़े भारी स्तन उजागर हो गए जिसे वो साफ शीशे मे देख सकती थी.

बिल्कुल टाइट दो सुडोल गोल आकृति कैद थी जिनके बीच गहरी सी लकीर साफ दिखाई पड़ती थी.

रेखा खुद पे ही मोहित होने लगी थी"क्या मै वाकई जवान हूँ " उसका एक हाथ अपने ब्लाउज के बटन पे खुद ही आ गया.

"टक...टक...कि आवाज़ के साथ ब्लाउज के दो बटन खुल गए

ये आवाज़ उसके दिल मस्तिक पे एक जोरदार चोट कि तरह लगी,वो ऐसी हरकत आज पहली बार कर रही थी

यहाँ कि हवा मे कुछ अलग ही रोमानीयत थी,जिसमे रेखा खुद को बेबस सा महसूस कर रही थी.

वो अपने बदन मे बदलाव महसूस कर रही थी.

"टक....टक..." दो बटन और खुल गए

धमममम.....से करते तो सुडोल आकृति सामने आ धमकी काली ब्रा मे कैद एक दम गोरी.

उसके स्तन भी आज उसका धन्यवाद दे रहे थे कि उन्हें आजादी तो मिली.

"ये आज़ भी इतने टाइट क्यों है " खुद को निहारती रेखा ने सवाल पूछा

जवाब कौन देगा,कोई नहीं....

"अन्ना प्यार से बुला रहा था " रेखा ने अपने पुरे ब्लाउज को उतार फेंका

और पलंग से उठ खड़ी हुई ना जाने किस आवेश मे थी वो.

वो अपने कपड़ो कि अलमारी कि ओर बढ़ चली,पल्लू नीचे फर्श पर घिसता जा रहा था,

देखते ही देखते रेखा ने एक लाल कलर का ब्लाउज निकाल लिया, उसे लहराती वापस शीशे के सामने आ ठहरी, एक पल खुद को जी भर निहारा उसके बाद उस लाल ब्लाउज को अपने स्तन पे ब्लैक ब्रा के ऊपर कस लिया.

ब्लाउज थोड़ा टाइट था जिस वजह से स्तन बाहर को निकल आये परन्तु आज उसे इस बात पे कोई ऐतराज़ नहीं था वो बेसुध थी खुद कि खूबसूरती मे मदहोश.

शीशे मे निहारती रेखा ने अपनी साड़ी को भी खोल दिया,वो सिर्फ लाल ब्लाउज और पेटीकोट मे खड़ी थी, उसका सुन्दर सुडोल बदन आईने मे चमक रहा था,

उसकी नजर अपने पेट कि तरफ गई जगा नाभि से नीचे पेटीकोट के डोर बँधी थी.

बिल्कुल सपाट पेट,उसमे चार चाँद लगाती गहरी नाभि.

"इससससस....... रेखा ख़ुश से शर्मा गई वो तैयार हो रही थी,लेकिन किस लिए?

पास मे पड़ी लाल साड़ी से उसने अपना बदन तुरंत धक लिया,उस से अपना ही अर्धनग्न बदन नहीं देखा जा रहा था.

जैसे ही उसने पल्लू अपने सीने पे डाला "चररररर...कि आवाज़ के साथ रूम का दरवाजा खुलता चला गया "

"अरे माँ कहाँ जाने को तैयार हो रही हो " राजेश ने अंदर आते ही पूछा

रेखा भी आवाज़ कि दिशा मे पलट गई उसकी साड़ी का पल्लू उसके स्तन को ढक चूका था " क्यों पार्टी मे नहीं जाना क्या?"

राजेश :- आप तो मना कर रही थी.

रेखा :- तो क्या हुआ अब मूड बन गया, अब इतनी दूर आये है तो एन्जॉय तो कर ले ना

राजेश एक पल को अपनी माँ को देखता ही रह गया,"कितनी सुंदर है मेरी माँ "

राजेश :- कितनी सुन्दर लग रही हो आप माँ ऐसे ही रहा करो ना.

रेखा :- ओ....मेरा बेटा हाँ अब से ऐसे ही रहूंगी,रेखा ने अपने बालो को पीछे करते हुए कहा.

रेखा धीरे धीरे अपनी घिसी पीती जिंदगी के बंधन तोड़ रही थी


"अच्छा माँ मै भी तैयार हो के आता हूँ " राजेश बाथरूम कि ओर चल दिया


रेखा अपने होंठो को लाल लिपस्टिक से रंगने लगी,ना जाने आज कितने सालो बाद उसने सुर्ख लाल लिपस्टिक को छुआ था.

लेकिन किस के लिए? नहीं पता था उसे भी

बस उसे अच्छा दिखना था खुद के लिए,उसे अब खुद का जीवन जीना था.



रूम नंबर 102

"और कितना टाइम लगेगा जान तैयार होने मे देखो पर्यंत शुरू होने का वक़्त हो गया है " मंगेश ने अपनी घड़ी मे नजर मारते हुए बोला.

अनुश्री जो कि आधे घंटे से बाथरूम मे थी खुद को सवार रही थी सिर्फ सिर्फ अपने पति के लिए.

ब्लैक स्लिवेलेस ब्लाउज मे कैद उसके स्तन आज जरुरत से ज्यादा उफान मार रहे थे उस पर गहरी लाल मेहरून कलर कि साड़ी उसके बदन कि शोभा बड़ा रहे थे.

"आई मेरे प्यारे पतिदेव " बोलती अनुश्री बाथरूम से बाहर आ गई.

मंगेश कि तो आंखे ही फटी राह गई खुद कि बीवी को देख के,

"आज तो क़यामत लग रही हो किस को मरना है?" मंगेश लगभग बिस्तर से उछल ही बैठा

"सब आपके लिए ही है मेरी जान " अनुश्री ने पास आते हुए कहा

चले अब.


अनुश्री मंगेश कमरे से बाहर निकाल नीचे उतरने लगे थे,वही राजेश और उसकी माँ रेखा भी नीचे आ चुके थे.

"क्या बात है माँ जी आज तो बिजलिया गिरा रही है आप " अनुश्री ने रेखा को छेड़ते हुए कहा

"धत पागल ऐसे भी कोई बोलता है खुद को देख बिजली तो तू हिरा रही है " रेखा ने सीधा हमला किया

रेखा और अनुश्री दोनों ही एक दूसरे कि बाय सुन झेम्प गई थी


"आइये आइये साहेब..... " अन्ना कि आवाज़ ने सभी का स्वागत किया.

अनुश्री और रेखा ने चारो ओर देखा वाकई सजावट शानदार थी होटल के काफ़ी गेस्ट पार्टी मे शामिल थे परन्तु सभी कि नजर नयी नवेली अनुश्री और पुराने मीठे चावल कि तरह रेखा पे टिकी हुई थी.

सभी ने उन दोनों कि सुंदरता को अंदर ही अंदर सराहा था

अन्ना ने सभी का स्वागत किया " आइये मंगेश राजेश बाबू आपका ही इंतज़ार होना इधर, आप बहुत सुन्दर दिखता मैडम " अन्ना ने रेखा कि और देखते हुए कहा.

अन्ना कि नजरें बराबर रेखा पे बनी हुई थी, जिसे रेखा ने भी भम्पा शायद उसे भी अहसास हो गया था कि वो कू और किस के लिए तैयार हो के आई है.

शाम ढल गई थी,चारो ओर रोशनी को सजावट कि चकाचोघ थी

खाने के काउंटर चारो ओर लगे थे जिसे मिश्रा संभाल रहा था, मिश्रा कि नजर अनुश्री पे ही टिकी हुई थी "मैडम का फेवरेट कलर ब्लैक ही है आज भी ब्लैक ब्लाउज ही पहना है " मिश्रा ने अपने पाजामे मे ही अपने लंड को सहला दिया

वही अब्दुल का भी यही हाल था वो भी आस पास ही पार्टी कि व्यवस्था देख रहा था उसकी नजरें भी अनुश्री पे ही बानी हुई थी, वो बस मौका देख रहा था अनुश्री कि नजदीकी का.

"कितनी अच्छी जगह है ना मंगेश?" अनुश्री ने मंगेश का हाथ पकडे हुए कहा.

मंगेश : हाँ जान तभी तो मै कह रहा था कि पार्टी मे चलते है मजा आएगा.

"सॉरी ना बाबा मुझे नहीं पता था इतना अच्छा लगेगा " अनुश्री ठन्डे रुमानी मौसम को साफ महसूस कर रही थी उसके दिल मे उमंग नाच रही थी.

थोड़ी ही देर मे अन्ना के बर्थडे का केक काटा गया सभी ने उसे बधाईया दी और खाने कि ओर बढ़ चले.

"तुम कहाँ जाता जी सर....तुम लोगो का खास इंतेज़ाम किया मैंने " अन्ना ने मांगेश और राजेश को बोला

मंगेश जो वैसे ही free कि पार्टी से ख़ुश था "क्या अन्ना पहले ही अपने इतनी सर्विस दे दी है हमें और क्या इंतेज़ाम है "

अन्ना :- आओ तो मेरे साथ स्पेशल है कुछ

राजेश और मंगेश मे एक दूसरे कि तरफ देख फिर दूसरी तरफ देखा जहाँ अनुश्री और रेखा आपस मे बातो मे बिजी थी.

राजेश :- क्या अन्ना क्या बात है?

अन्ना :- आओ तो सही

मंगेश " रुको जरा " बोल के मंगेश अनुश्री और रेखा के पास गया

"हम लोग अभी आते है जब तक आप लोग खाना खा लो.

पार्टी का माहौल था तो दोनों ने कोई ऑब्जेक्शन नहीं किया,ना पूछा कि कहाँ जा रहे है.

अनुश्री और रेखा मे पहले ही काफ़ी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी वो अपने मे ही व्यस्त थी


अन्ना होने साथ राजेश और मंगेश को होटल के ही किसी कमरे मे ले गया "ये देखो स्पेशल पार्टी " अन्ना ने महँगी विदेशी दारू कि बोत्तल को उन दोनों कि आँखों के सामने लहरा दिया.


बाहर पार्टी मे

"ये लोग कहाँ चले गए माँ जी " अनुश्री ने कोतुहाल वंश पूछा

रेखा :- जाने दे बेटा लड़के है उनके अपने शौक है बोल के मुस्कुरा दी

अनुश्री भी कुछ कुछ समझ गई कि क्या करने गए है.

मंगेश कभी कभी दारू पी लेता था,शायद आज अन्ना ने फाॅर्स किया हो

काफ़ी समझदार थी अनुश्री

"मैडम और कुछ लाउ " अनुश्री अपने विचार से बाहर आई और आवाज़ कि दिशा मे पलटी

"अब्दुल तुम " अनुश्री ने चौकते हुए कहाँ

"मैडम आप तो हर बार ऐसे चौकती हो जैसे मुझे पहली बार देखा हो, अभी सुबह ही आपको लाइन मे लगाया था " अब्दुल ने आते ही तीर दाग दिया.

अनुश्री कुछ बोलती उस से पहले है "अरे नहीं अब्दुल जी आप तो पहले ही हमारी काफ़ी हेल्प कर चुके है " रेखा ने जवाब दिया

अनुश्री के जहन मे जैसे ही सुबह कि मंदिर कि लाइन कि बात आई उसके बदन ने झुरझुरी ले ली उसे याद आया कि अब्दुल पीछे से चिपका हुआ था और उसके उत्तेजना मे आ के मंगेश के कंधे को भींच लिया था.

" ना..ना....नहीं अब्दुल जी कुछ चाहिए होगा तो बोल दूंगी " अनुश्री ने खुद को जैसे तैसे संभाला

वो रेखा के सामने कुछ भी जाहिर नहीं करना चाहती थी

"वैसे मैडम मेरा गिफ्ट ना भूल जाना " अब्दुल ने जाते जाते कह दिया

अनुश्री उसकी बात सुन शर्मा गई उसने गुस्से से अब्दुल कि तरफ देखा अब्दुल जा चूका था बस उसके शब्द अनुश्री के जहन मे रह गए थे.

"चलिए माँ जी खाना खाते है " अनुश्री और रेखा दोनों खाने कि टेबल कि ओर चल दी


"आउच आअह्ह्ह.....बेटा " रेखा एक दम से करहते हुए जमीन पे बैठ गई,उसके पैर लड़खड़ा गए थे


"क्या हुआ माँ जी क्या हुआ " अनुश्री ने चौंक के रेखा को गिरने से बचाया

"आआहहहह.....बेटा लगता है पाँव मुड़ गया है" रेखा ने अपने पैर को एड़ी के पास से पकड़ लिया.

"ओह्ह्ह...माँ जी ये दोनों भी कहाँ गए? क्या मुसीबत है?" अनुश्री रेखा को संभाल रही थी

पार्टी मे भीड़ भाड़ ज्यादा थी किसी का ध्यान इस तरफ नहीं था.

कि तभी एक जोड़ी हाथो ने रेखा के दूसरे बाजु को पकड़ संभाल लिया," मेमसाहेब....मेमसाहब....कोई दिक्कत है "

अनुश्री रेखा ने सर उठा के देखा तो सामने चौकीदार कि ड्रेस मे एक नेपाली लड़का रेखा को थामे खड़ा था.

"आअह्ह्ह.....बेटा पैर मुड़ गया है " रेखा ने जवाब दिया


नेपाली लड़का :- आइये मेमसाहब मै आपको रूम टक छोड़ देता हूँ,कौनसा रूम है आपका?

बड़े ही स्नेह और प्यार के साथ उस मजबूत कद काठी के नेपाली लड़के ने रेखा जैसी गद्दाराई औरत को होने एक हाथ से ही पकड़ के सीधा खड़ा कर दिया.

"आइये मेमसाहेब " बोल के दोनों हाथो से रेखा को पकड़ धीरे धीरे गार्डन से बाहर कि ओर चल पड़ा.

रेखा ने बड़े ही हसरत भरी नजरों से उस लड़के कि तरफ देखा जो ना जाने कहाँ से फ़रिश्ते कि तरह आ कर उसको संभाल लिया था, दर्द सेआहात पसीने से पल भर मे भीग गई थी रेखा


"मै राजेश और मंगेश को बुला के लाती हूँ माँ जी,भैया इनका रूम 103 है " बोल के अनुश्री रिसप्शन कि ओर भाग खड़ी हुई.



"अरे ट्रैन वाली मैडम आप यहाँ " अब्दुल रिसप्शन पे बैठा था

अनुश्री हाफती हुई वहा पहुंची थी "अन्ना....अन्ना....कहाँ है? मंगेश कहाँ है?"

अब्दुल :- अन्ना का तो बर्थडे है यदि आपके पति उनके साथ गए है तो जल्दी नहीं आने के,मुझे बताइये क्या बात है सभी समस्या का हाल मेरे पास ही है अब्दुल ने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा.

"वो...वो.....राजेश कि माता जी का पैर मुड़ गया है, i mean मोच आ गई है "

अनुश्री ने एक ही बार मे कह दिया.

"घबराइए नहीं मामूली बात है उन्हें रूम मे ले जाइये कोई बाम लगाइये ठीक हो जाएगी इसमें घबराने कि क्या बात है?"अब्दुल बड़े ही इत्मीनान से बोला

"बात तो सही ही है मै इतना पेनिक क्यों हो रही हूँ पैर ही तो मुड़ा है " अनुश्री ने खुद को संभाला उसे अब्दुल कि बात वाजिब लगी.

"फिर भी उन्हें तो ढूंढना ही पड़ेगा ना"अनुश्री को ये भी ध्यान नहीं रहा कि वो फ़ोन भी कर सकती है,करती भी कैसे खुद का फ़ोन तो रूम मे ही रख आ आई थी.

"आइये मेरे साथ, अभी देख के आते है " अब्दुल कुर्सी से उठ के चल दिया होटल के पिछले दरवाजे कि ओर

अनुश्री बिना कुछ सोचे समझें ही अब्दुल के पीछे पीछे चल दी.

अब्दुल होटल के पीछे के दरवाजे से होटल के पीछे आ गया जहाँ दूर दूर तक हलकी रौशनी पासरी हुई थी,समुद्र कि लहरे किनारे से टकरा रही थी.

अनुश्री ने जैसे ही ये मनमोहक नजारा देखा उसके दिल से घबराहट चिंता सब काफूर हो गई.

"वाओ....क्या सीन है " अनुश्री के मुँह से अनायास ही निकल गया

"आपको अच्छा लगा ना मैडम " अब्दुल ने पूछा?

"हम....हाँ हाँ....बहुत शानदार है " अनुश्री ने जवाब दिया

"लेकिन यहाँ तो आपके पति नहीं है चलिए वापस चलते है" अब्दुल वापस गेट कि तरफ मुड़ गया

परन्तु अनुश्री वही खड़ी रही समुद्र कि लहरों को देखती रही जैसे उस दृश्य ने उसे अपने मे बांध लिया था.

"क्या हुआ मैडम जी  चलिए "

अनुश्री ने जैसे सुना ही नहीं वो आगे बढ़ चली उसे वो दृश्य अपने पास बुला रहा रहा

उसने कभी भी समुद्र नहीं देखा था उसकी बहुत इच्छा थी कि वो यहाँ अठखेलिया करती मंगेश के साथ,परन्तु जब ये दृश्य सामने आया तो वो खुद को रोक ना सकी आगे बढ़ गई

"मैडम मैडम....कहाँ जा रही है आप " अब्दुल अनुश्री को पुकारता उसके पीछे चल पड़ा.

अनुश्री चलते चलते किनारे तक आ गई थी.

"मैडम अच्छा लगा आपको" अब्दुल ने अनुश्री के कंधे पे हाथ रख दिया.

"उममम्म....बहुत शानदार " अनुश्री ने पीछे पलट के देखा टक नहीं वो इस मनमोहक दृश्य का शिकार हो गई थी.


अनुश्री ने अपनी दोनों हाथो को फैला लिया जैसे उस ठंडी हवा को महसूस कर रही हो अपने वजूद मे,उसकी आंखे बंद हो गई.

उसे ये पल किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रहा था.


तो कौन है ये नेपाली लड़का? क्या रेखा को उसके रूम तक पंहुचा देगा?

अनुश्री क्या करेगी इस मनमोहक दृश्य मे?

बने रहिये कथा जारी है.....

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