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मेरी बीवी अनुश्री भाग -7

भाग -7


ट्रैन पूरी रफ़्तार से अपनी मंजिल कि ओर बढ़ रही थी.

परन्तु अनुश्री को मंजिल बदल गई थी उसका मुकाम कुछ और ही होने वाला था,वो इस अनजाने रोमांच से भरे रास्ते पे निकल गई थी,जिसका सबूत ये था कि मिश्रा ने अभी अभी उसकी नजरो के सामने ही उसकी पसीने से भीगी कांख को अपनी जीभ से चाटा था


अनुश्री ना चाहते हुए भी आहहहहम...कर के रह गई थी,वो बराबर मिश्रा कि आँखों मे देख रही थी ना जाने क्या ढूंढ़ रही थी.

मिश्रा का थूक अनुश्री कि कांख मे लग गया था जो ही हवा चलने से ठंडा सुखद अहसास दे रहा था.

मिश्रा :- कैसा लगा मैडम? आपका पसीना वाकई कितना स्वादिष्ट है मेरा जन्म लेना सफल हो गया.

अनुश्री जो कि जीवन मे पहली बार ऐसा कुछ महसूस कर रही थी उसके लिए ये सब बिलकुल नया था शादी के इतने सालो बाद भी ऐसी उमंग और तरंग उसके बदन मे नहीं उठी थी,

उसका दिमाग़ कह रहा था कि हाथ नीचे कर ले ये गलत है,लेकिन बदन पूरा विरोध मे उतर आया था ऐसा अनुभव फिर कहाँ मिलेगा,कोई तुझे खा थोड़ी ना जाने वाला है.

आखिर बदन जीता अनुश्री ने हाथ नीचे नहीं किया मिश्रा कि बात सुन झेप गई मुँह दूसरी तरफ फेर लिया.

मिश्रा के लिए ये हाँ ही थी "अब्दुल तूने सही कहाँ था मुँह लगा के पिने मे तो मजा ही आ गया "

अब्दुल मिश्रा को हिम्मत देख अपने अंदर के मर्द को जगाने लगा उसे भी यकीन हो चला था कि थोड़ी कोशिश से काम बन सकता है,वो जान बुझ के थोड़ा आगे को हो गया और बिलकुल अनुश्री कि कमर से जा चिपका,इतना कि अनुश्री के बड़े भारी कूल्हे असलन कि जांघो पे जा लगे.

अनुश्री :- ऐ....ठीक से खड़े हो ना धक्का क्यों मारा इस धक्के से अनुश्री अपनी भावनाओं से बाहर आई.

अब्दुल :- मैडम भीड़ बहुत है क्या करे धक्का पीछे से ही आ रहा है.

अनुश्री इस बार कुछ नहीं बोली क्या बोलती बात तो सही ही थी, अब्दुल के चिपकने से पसीने के कारण होती खुजली से उसे कुछ राहत का अनुभव भी हुआ,क्यूंकि ट्रैन चलने से लगने वाले झटको के कारण अब्दुल पीछे से खुद को अनुश्री कि कमर और गांड पे घिस रहा था.

अब्दुल :- मैडम कि का रस इतना मीठा है क्या? अब्दुल ने पसीना ना बोल के रस कहाँ जिसे अनुश्री ने साफ सुना क्यूंकि उसके इर्दगिर्द ही तो बात हो रही थी.

मिश्रा :- बिलकुल भाई शहद जैसा है मैडम ने खुद चखाया.क्या मैडम जी?

अनुश्री ने आंखे बड़ी कर के मिश्रा को देखा जैसे कहना चाह रही हो कि अब्दुल को क्यों बताया?

अब्दुल :- काश मुझे भी मिल पता ये रस

मिश्रा :- तो इसमें काश वाली क्या बात है तू भी पी ले मैडम थोड़ी ना मना करेगी.

इस बार अनुश्री बुरी तरह से चौकी क्यूंकि मिश्रा किसी और मर्द को निमंत्रण दे रहा था उसका पसीना चखने को.

अभी अनुश्री सोच मे ही डूबी थीं कि पीछे से अब्दुल ने होने गंदे काले होंठ अनुश्री कि पीठ पे चिपका दिए.

"सससससस.......करती अनुश्री ने अपनी आंखे बंद कर ली.

उसे विरोध करना चाहिए था परन्तु ना जाने क्या हुआ कि सिर्फ आंखे बंद कर के रह गई गर्मी से पसीना छोड़ती पीठ पे ठंडाई के अहसास ने उसके बदन को झकझोर दिया.

अभी आंख खोलने को ही थी अब्दुल ने अपनी जीभ निकल के पीठ चाट ली लगभग पसीने को लप लप करता चाट गया,आगे से मिश्रा ने भी मौके कि नजाकत को समझते हुए अनुश्री कि कांख मे मुँह घुसेड़ दिया,और पूरी जीभ निकल के कभी नीचे से ऊपर तो कभी ऊपर से नीचे कि तरफ चाटने लगा.

जैसे तो भवरे किसी फूल का रस पी रहे हो.

अनुश्री कि तो हालात ही ख़राब हो गई उसे पता नहीं था कि उसका चुप रहना इस कदर भारी पढ़ने वाला है

इस हमले से उसकी सांसे भारी होने लगी, वो जैसे ही विरोध करने का सोचती दोनों कि जीभ ऐसा कमाल दिखाती कि विरोध धरा का धरा रह जाता.

"ससससस......नहीं.....नहीं...." बस यही निकल पा रहा था उसके मुँह से आंखे बंद थी उसे कोई फ़िक्र नहीं थी कि वो ट्रैन मे है अनजान दो मजदूर वर्ग के मर्द उसके पसीने को चाट रहे है.

"आअह्ह्हह्ह्ह्ह.....उसे  सहन करना मुश्किल था "इस बार उसके हलक से थोड़ी जोरदार आह निकली.

उसकी आह सुनते ही मिश्रा और अब्दुक ने अपनी जीभ हटा ली,उन्हें डर था कि कही इसकी आवाज़ से भीड़ का ध्यान उनकी तरफ ना चला जाये.

दोनों कि जीभ जैसे ही हटी अनुश्री ने आंखे खोल दी उसकी आंखे बिलकुल लाल थी,सांसे किसी धोकनी कि तरह चल रही थी बड़े बड़े स्तन उठ उठ के गिर रहे थे.उसके बदन अंदर से गर्म हो गया था गाल बिलकुल टमाटर कि तरह लाल थे.

उसकी आँखों मे सवाल था "क्यों रुक गए?"

तभी उसे अपनी जांघो के बीच एक दम गिला गिला महसूस हुआ जैसे कोई पानी उसकी जांघो के बीच रिसता हुआ नीचे को जा रहा हो.

अनुश्री :- हे भगवान ये क्या हो रहा है मुझे? ये सवाल खुद से था.

सवाल मन मे था और जाँघ आपस मे रागडकर जवाब उसका बदन दे रहा था.

अब्दुल :- ऐसे मत चिल्लाओ मैडम काम बिगड जायेगा

"क्या मै जोर से चिखी?लेकिन क्यों? ये कैसा अहसास है? अनुश्री का मन प्रश्नों से भर गया था.

जिसके जवाब उसे मिलने थे यही पे इसी ट्रैन मे.

एक तो गर्मी ऊपर से दोनों कि हरकत ने आगबलेगा थी उसके बदन मे पसीना फिर से बहने लगा.

मिश्रा :- वाह मैडम जितनी खूबसूरत है आप इतना ही रसीला और खूबसूरत है आपका बदन.

अब्दुल :- देख मैडम का पसीना फिर निकल गया, कितना ही चाटो मन ही नहीं भरता.

दो अनजान लोग उसके पसीने कि तरीफ कर रहे थे और वो इस तारीफ से कही ना कही मदहोशी का अनुभव कर रही थी.

कुछ बुँदे रिस्ती हुई कमर के रास्ते पैंटी मे समाने लगी,गीलेपन और खुजली के अहसास से अनुश्री ने अपनी गांड को थोड़ा मरोड़ना चाहा,अपने पैरो को इस तरह चलाया कि गांड के दोनों पाट आपस मे रगड़ खा जाये ताकि खुजली मे थोडा आराम मिले, और हुआ भी ऐसा ही परन्तु इस बार इस राहत मे कुछ और भी था.

उसकी गांड किसी सख्त चीज से रगड़ खा गई.

अब्दुल :- उफ्फ्फगम....मैडम आज आप मार ही डालेगी

अनुश्री :- मममम...मममम.....मैंने क्या किया?

अब्दुल :- आपकी खुजली कि वजह से मुझे चोट लग रही है.

अनुश्री :- ककककक....क्या...क्या? अनुश्री शर्म से पानी पानी हो गई एक अनजान मर्द उसके गांड मे होती खुजली को भाँप गया था.

अब्दुल :- इसमें शर्माने वाली क्या बात है मैडम जी गर्मी है पसीना है तो खुजली होना स्वाभिक है

अनुश्री तो शर्म से गढ़ी जा रही थी उसके लिए क्या किसी भी स्त्री के लिए इस समाज मे अपमाजनक होतीहै.

परन्तु अब्दुल उसकी झेप और शर्महाट को भली भांति समझ रहा था.

अब्दुल :- डरिये शर्माइये मत अपनी टांगे थोड़ी फैला लीजिये थोड़ा खुलापन होगा हवा वहा जाएगी तो राहत मिलेगी

अनुश्री हालांकि समझ रही थी कि किस जगह खुजली हो रही है और अब्दुल भी वही कि बात कर रहा है

अनुश्री तो पहले ही उनकी बातो मे आ चुकी थी इस तरह तो उसका पति भी उसे नहीं समझता था

अनुश्री ने शरमाते हुए अपनी टांग थोड़ी सी फैला ली.

अब्दुल का कहना ठीक था उसे तुरंत राहत मिली परन्तु दोनों गांड के हिस्सों के बीच मौजूद छोटा सा छेद अभी भी तकलीफ दे रहा था.

अभी उसका ऐसा सोचना ही था कि ट्रैन ने झटका खाया अब्दुल पीछे से दाबता चला गया साथ ही उसकी जाँघ भी पूरी अनुश्री कि जाँघ से सट गई.

नतीजा उसका लंड सीधा अनुश्री कि कि फैलाई हुई गांड मे जा धसा.

"हम्म्म्म.....ये ट्रैन " बोल के अनुश्री थोड़ा पीछे को हुई ताकि अपनी जगह वापस खड़ी हो सके परन्तु उसके पीछे चुभती चीज और ज्यादा चुभने लगी.

हालांकि अब्दुल का लंड पूरी तरह सख्त नहीं था फिर भी लुंगी मे लटका हुआ ही चुभने लगा.

अनुश्री को इस चुभन से काफ़ी राहत महसूस हुई, उसे लगा पीछे अब्दुल का कोई सामान रखा है,

इसी अहसास को लेने के लिए अनुश्री ने वापस से अपनी गांड को पीछे धकेला.

अब्दुल :- कैसा लग रहा है मैडम जी?

अनुश्री :- कककक.कक्क...कैसा मतलब?

अब्दुल :- अरे खुजली मिटी या नहीं

अनुश्री :- वो...वो...थोड़ी थोड़ी ऐसा बोल बुरी तरह झेप गई क्यकि यहाँ उसकी गांड कि खुजली कि बात हो रही थी.

अब्दुल :- पूरी मिटा देंगे बोल के अपने लंड को अच्छे से रगड़ दिया.

मिश्रा:-क्या मिटा रहा है भाई?

अब्दुल :- अरे यार मैडम कि गांड मे पसीना आ रहा है तो खुजली हो गई है वही मिटा रहा हूँ


अनुश्री को ऐसे वार्तालाप कि कतई उम्मीद नहीं थी उसका बदन गुस्से और अजीब सी सीहरन से नहा गया.

उसने दिमाग़ मे गांड शब्द हलचल मचा गया उसने कभी अपने पति के मुँह से भी ऐसा शब्द नहीं सुना था.

अनुश्री ने सर पीछे कर अब्दुल को देखा और आंखे दिखा गुस्सा जाहिर किया जैसे बोलना चाहती हो "क्या जरुरत थी बताने कि?"

इन गंदे शब्दों का अलग ही मजा था आज अनुश्री ऐसा महसूस कर पा रही थी.

उसके जहन मे गुस्सा था लेकिन विरोध कतई नहीं था

मिश्रा :- मिटा दे भाई आखिर हम लोग हमसफ़र है एक दूसरे कि मदद करना ही हमारा फ़र्ज़ है.

मिश्रा कि बाते बड़ी आदर्शवादी थी,लेकिन जिस लहजे मे कही गई थी ये मिश्रा ही जनता था.

अब्दुल :- मैडम टांगे चौड़ी तो करे तभी तो हवा लगेगी वहा.

दोनों मर्द अनुश्री के अंगों कि बात कर रहे थे उसके ही सामने,टांगे चौड़ी करना सुन उसका कलेजा मुँह को आने लगा सांसे वापस तेज़ चलने लगी,पसीने से भीगी पैंटी मे कुछ बुँदे टपक ही गई.

ये अभी हुआ हि था कि अब्दुल ने अपनी कमर को आगे कि तरफ चला दिया.

"आमममममम....अनुश्री कि कराह निकल गई जो उसके मुँह मे ही घुल के रह गई,उसे उन्माद महसूस हो रहा था.

वो जानती थी ये गलत है लेकिन उसका बदन क्या करे जो ये सब स्वीकार कर चूका था उसकी सबसे बड़ी दुश्मन उसकी चुप्पी थी वो कुछ बोलती नहीं थी बस चेहरे से ही अपनी भावना बतला देती थी.

उसके जहन मे गांड,टांगे चौड़ी करना जैसे शब्द बार बार दस्तक दे रहे थे ये शब्द रोमांच भरे थे.

अनुश्री को चुप चाप खड़ा पा कर अब्दुल कि हिम्मत बढ़ने लगी थी. और साथ ही उसका लंड भी जो लगातार अनुश्री कि गांड के संपर्क मे था,

अब ऐसे कामुक पसीने से तर गांड किसी लंड को छू जाये और वो खड़ा भी ना हो तो वो लंड नपुंसक का ही होगा.

अब्दुल का लंड धीरे धीरे सख़्त होने लगा,आलम ये था कि सीधा टन के खड़ा हो गया था और बराबर अनुश्री कि गांड कि दरारा मे चुभने लगा

"आउच...ये क्या है? " अनुश्री के मुँह से निकल गया.

साथ हूँ उस चीज का नरम स्पर्श भी उसे गुदगुदाने लगा.

अब्दुल का लंड अभी सिर्फ गांड के ऊपर ही ठोंकर मार रहा था.

अनुश्री को कोई अहसास नहीं था कि ये क्या चीज है, उसे अब्दुल का लंड चुभ तो रहा था परन्तु सही जगह नहीं चुभ रहा था.

इसलिए वो कभी अपनी गांड को इधर हिलती तो कभी उधर उसे तो अभी तक यही लग रहा था कि ये कोई बैग वगैरह का पट्टा है जो कि अब्दुल ने उसके और आने बीच रखा हुआ है.

कितनी भोली थी अनुश्री.

मिश्रा :- खुजली मिटी क्या मैडम जी

मिश्रा कि आवाज़ से अनुश्री का ध्यान भंग हुआ "क्या...क्या.....ना...ना...नहीं "

अनुश्री हकला रही थी जैसे किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो.

मिश्रा :- शर्माइये नहीं मैडम यहाँ आपकी खुजली के बारे मे सिर्फ हम दोनों को ही पता है और हम किसी को नहीं बताएंगे.

लगता है आपके पति आपकी खुजली अच्छे से नहीं मिटा पाते,हेहेहेहे...ऐसा बोल अपने गंदे दाँत निपोर दिए.

अनुश्री समझ नहीं पाई कि किस खुजली कि बात हो रही है,उसका पूरा ध्यान अपनी गांड पे चुभती चीज मे ही था.

मिश्रा :- क्या यार अब्दुल तू एक मामूली खुजली नहीं मिटा पा रहा फालतू फेंकता रहता है कि तेरा बड़ा है.

मिश्रा ने ये बात साफ अनुश्री को सुनाने के लिए बोली थी.

"क्या बड़ा है किस चीज कि बात हो रही है " अनुश्री के मन मे कोतुहाल सा मच गया परन्तु इस चुभन को काफ़ी हद तक महसूस कर उसका बदन रोमांच से भर उठा था बस ये चीज सही जगह नहीं लग रही है.

अब्दुल अपनी बेइज़्ज़ती सुन जोश मे आ गया,उसे मिश्रा कि बात ने चोट पंहुचा दी थी उसकी मर्दानगी पे चोट थी ये और देखते ही देखते अपनी लुंगी का एक हिस्सा साइड कर अपना लंड बिलकुल नंगा कर लिया.

और एक धक्का लगा दिया इस बार लंड सीधा सही जगह पे वार किया बिलकुल दोनों निताम्बो कि दरार को भेदता हुआ साड़ी के ऊपर से ही गांड के छेद पे छू गया.

आअह्ह्ह.....अनुश्री को राहत कि असीम कृपा प्राप्त हुई उसने भी ना जाने कैसे अपनी टांगे और चौड़ी कर अपनी गांड पीछे को कर दी.

अब्दुल के लिए ग्रीन सिग्नल था,ट्रैन के झटको के साथ ही उसने अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया लंड साड़ी के ऊपर से ही लगातार गांड के दोनों पाटो के बीच घिसने लगा जो गांड के छेद पे धक्का दे के वापस चला आता.

अनुश्री को राहत कि वो अनुभूति हुई कि पूछो ही मत उसे कोई मतलब नहीं था कि वो क्या चीज है उसने तो बस अपने हाथ मिश्रा कि ऊपर टिका रखे थे और आंख बंद किये इस राहत का मजा ले रही थी.

लेकिन इस राहत ने खुजली पे काबू तो किया लेकिन उसका बदन जलने लगा, उसे ये घिसाव अपनी चुत तक महसूस होने लगा, इस घिसाव से जो चिंगारी उत्पन्न हो रही थी जो सीधा उसके स्तन और चुत पे हमला कर रही थी.

हम्म्म्म....ना चाहते हुए भी उसके मुख से सुख कि ध्वनि फुट पड़ी.

अनुश्री ने दूसरा हाथ भी मिश्रा के पीछे दिवार पे रख दिया इस वजह से अनुश्री कि गांड और पीछे हो हो गई टांग तो फैली ही हुई थी,अब्दुल के लंड को अब खुला रास्ता मिल गया था.

अब्दुल :- अच्छा लग रहा है ना मैडम जी

अनुश्री कुछ बोली नहीं बस आंख बंद किये हाँ मे सर हिला दिया.

अभी ये हो ही रहा था कि मिश्रा से राहा नहीं गया उसने अपने पंजो पे ऊँचा हो अनुश्री कि दूसरी पसीने से भारी कांख को चाट लिया.

मिश्रा :- क्या स्वाद है मैडम अपना मन करता है कि....

अनुश्री:- क्या मन करता है.....अनुश्री आंख बंद किये ही बोल गई मिश्रा और अब्दुल कि हरकतों से वो मदहोशी कि दुनिया मे समा गई थी उसे खुद नहीं पता कब कैसे लेकिन उसका बदन उन दोनों कि मनमानी का साथ दे रहा था.

मिश्रा :- यही कि जिंदगी भर आपकी सुन्दर कांख चाटता रहु.

अनुश्री जो कि अपनी मान मर्यादा संस्कार सब भूल चुकी थी "चाट लो आअह्ह्हम......उसकी चुत से रस टपकने लगा था,आंखे लज्जात से बंद थी.

दोनों ये दृश्य भलीभांति देख रहे थे.

दोनों ने एक दूसरे को देख एक मुस्कुराहट का आदान प्रदान किया.

अब्दुल :- मैडम आपको पता है आपकी गांड कि खुजली कौन मिटा रहा है?

अनुश्री बिलकुल सहज़ थी इस बार " कौन मिटा रहा है? " वैसे ही मदहोशी मे अपना सर को पीछे किये हुए बोली.

अब्दुल :- मेरा लंड इस बार अब्दुल ने सीधा लंड का नाम ही ले लिया

अनुश्री :-कककम्म......कककम....क्या?

अब्दुल :-.मेरा लंड जिसपे आप अपनी गांड घिस रही है.

कक्क....क्या   अनुश्री बुरी तरह चौंक गई वो झट से सीधी खड़ी हो गई दोनों हाथ नीचे कर लिए.

लंड नाम सुनते ही जैसे उसे उसकी अंतरआत्मा ने भींच दिया हो.

उसका जलता हुआ बदन,बदन मे उठता रोमांच खत्म होने लगा उसे याद आया कि वो शादीशुदा है.

सारी भावना पल भर मे धवस्त हो गई,उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी गांड के बीच किसी पराये मर्द का लंड था

पतीव्रता है,संस्कारी है,अच्छी फॅमिली से है.

अनुश्री के सीधा खड़े हो जाने से अब्दुल और मिश्रा कि घिघी बांध गई उनके चेहरे पे हवाइया उड़ने लगी.

अनुश्री :- you बास्टर्ड, बोलती हुई खुद को धिक्कारने लगी.

तो क्या अनुश्री संभल गई है?

बने रहिये कथा जारी है....

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