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मेरी बीवी अनुश्री भाग -10

अपडेट -10 सफर का आगाज़ 


डिब्बा D-3

"ऐ भिखारी तू अभी तक यही बैठा है चल भाग यहाँ से " रेखा के सामने रखा बैग सवारी ले के उतर गई थी जिस वजह से राजेश अपनी माँ को देख पा रहा जो सर पीछे किये सांसे भर रही थी,बदन पसीने से भीगा हुआ था.

"ऐ भिखारी हट यहाँ से क्या हुआ माँ क्या हुआ...." राजेश ने अपनी माँ रेखा के करीब आ के पूछा ट्रैन रुक गई थी मंगेश अनुश्री को लेने डब्बे से बाहर उतर गया था.

"कककक....कककक......कुछ नहीं बेटा बस गर्मी कि वजह से " बडी सफाई से वो अपने बदन कि बात दबा गई थी.

कैसे कह सकती थी को जिस भिखारी को तू भगा रहा है उसने उसके जीवन को नयी राहा दिखाई है,स्त्री होने का अहसास दिलाया है जिसे वो जिम्मेदारियों के बोझ तले भूल गई थी.

रेखा नजर भिखारी पे पड़ी जो उसे ही देख रहा था जाते हुए उसकी आँखों मे चमक थी ख़ुशी थी जैसे मन कि मुराद पूरी हो गई हो,राजवंती को उस भिखारी मे साक्षात् कामदेव नजर आ रहे थे

कउउउउउउउउउ.....ट्रैन चलने का संकेत हो गया था,भिखारी नजरों से ओझल हो चूका था.

ट्रैन झटके से चल पड़ी....

"राजेश मिलो अपनी भाभी से " मंगेश अनुश्री के साथ D3 डब्बे मे राजेश और राजवंती के सामने खड़ा था.

"और ये राजेश कि माता जी है " मंगेश ने अनुश्री को नमस्ते करने का इशारा किया


"नमस्ते आंटी जी,नमस्ते भैया " अनुश्री ने दोनों का अभिवादन किया.

और उसने राजेश कि तरफ देखा तो पाया राजेश एक सुन्दर गोरा पतला दुबला किसी लड़की कि तरह लचीला किस्म का लड़का था.

"अरे वाह बेटा बड़ी सुन्दर पत्नी है तुम्हारी तो,आओ बेटी यहाँ बैठो " राजवंती ने अनुश्री को अपने पास बैठा लिया.

अचानक माहौल पारिवारिक हो गया था

"राजेश के लिए भी तेरी जैसी ही खूबसूरत दुल्हन मिल जाये तो जिम्मेदारी से मुक्त हो जाऊ मै, इसके पापा के जाने के बाद बस यही एक जिम्मेदारी बची है मेरी " रेखा ने अनुश्री कि तारीफ और अपनी जिम्मेदारी एक साथ बता दी


राजेश :- क्या माँ आप भी जब देखो मेरी शादी

रेखा :- तो क्या जिंदगी भर मेरे पल्लू से ही बंधा रहेगा क्या?

इस बात पे सभी कि हसीं छूट गई, अनुश्री भी इस माहौल मे आ के पिछली घटना को भूल गई.

उसका दिल हल्का हो गया था.

रेखा अनुश्री आपस मे बाते कर रहे थे जहाँ मालूम हुआ कि शादी के 4 साल बाद भी अनुश्री गर्भवती नहीं हो पाई है

रेखा :- कोई ना बेटा होता है, भगवान जगन्नाथ के दरबार मे जो मांगो मिलता है

मेरा आशीर्वाद है कि तू यहाँ से खाली पेट ना जाये,ऐसा बोल के अनुश्री को आंख मार दी.

"क्या माँ जी आप भी ना शरारती है " अनुश्री ने शरमाते हुए कहा.

दोनों मे खूब जम गई थी जैसे कोई दोस्त हो रेखा कि बातो से लगता ही नहीं था कि वो इतने बड़े लड़के कि माँ है,इधर राजेश और मंगेश मे भी खूब छन रही थी.

बातो ही बातो मे रात के 8 बज गए पूरी स्टेशन आने ही वाला था,डब्बे मे गहमा गहमी शुरू हो गई थी.

मंगेश :- तो भई राजेश अब उतरते है कौनसा होटल बुक किया है तुमने?

राजेश :- अभी तो नहीं किया लेकिन पहुंच के देख लेंगे कोई छोटा मोटा होटल.

मंगेश :- तो हमारे साथ ही चलो 5स्टार होटल बुक किया है मैंने.

राजेश इस बात पे थोड़ा झेप गया "क्या भैया मै यहाँ हनीमून थोड़ी ना मनाने आया हूँ जो आपके साथ चल दू,2 दिन ही रुकना है हमें तो मंदिर दर्शन कर निकल जायेंगे वापस"

मंगेश :- अरे भई अब भैया भी बोलते हो बात भी काटते हो 2 दिन तो 2 दिन सही साथ रहो हमें भी अच्छा लगेगा क्यों अनुश्री? राजेश ने अनुश्री का भी समर्थन चाहा


अनुश्री :- तो और क्या माँ जी राजेश ठीक ही तो कह रहे है.

अनुश्री रेखा को आंटी से माँ जी बोल रही थी, उन दोनों मे खूब जम गई थी जैसे वाकई उसकी माँ हो बिलकुल दोस्त जैसी.

"अरे बेटा तुम लोग जवान हो कहाँ मुझ बुड्ढी पे टाइम वेस्ट कर रहे हो " रेखा ने दलील दी

अनुश्री :- ख़बरदार जो खुद को बुड्ढी बोला तो अभी भी कोई आदमी देख ले तो तुरंत शादी को राजी हो जाये अनुश्री मज़ाक मे बात कह गई.

लेकिन ये बात रेखा को बड़ी जोरदार लगी "क्या वो अभी भी इतनी जवान है,सुन्दर है?"

"धत पागल कुछ भी बोलती है " राजवंती ने बात काटी

सभी हॅस पड़े.

ट्रैन रूक गई थी फाइनल हुआ कि चारो एक ही होटल मे रुकेंगे.

चारो उतर अपनी मंजिल कि और बढ़ चले "होटल सी टॉप व्यू "


डिब्बा D1

"साले जल्दी उतर जल्दी होटल पहुंचना है वरना मालिक गुस्सा होगा " मिश्रा उतरते हुए अब्दुल को बोला

अब्दुल :- तू बेवजह ही डरता है मालिक खा थोड़ी ना जायेगा,उस मैडम कि कच्छी चूसते हुए तो डर नहीं लगा तुझे.

हेहेहेहेहेहे......दोनों हॅस पड़े.

मिश्रा :- ऐसी कच्छी नसीब वालो को ही मिलती है.

मिश्रा और अब्दुल पूरी के ही किसी होटल मे काम करते थे, जो कि आज ही छुट्टी से लौटे थे.

दोनों ने स्टेशन के बाहर से सवारी गाड़ी पकड़ी और चल पड़े अपने थर्ड क्लास "होटल मयूर " मे.

मिश्रा होटल मयूर का बावर्ची था और अब्दुल यहाँ का आलराउंडर मतलब कोई भी काम.कर लेता था प्लम्बर, इलेक्ट्रिसिन,गार्डनर,चौकीदारी सब कुछ.

दोनों ही अव्वल दर्जे के बदमाश थे,होटल मे महिला गेस्ट पे चांस मार लिया करते थे, सफलता तो कभी मिली नहीं परन्तु एक दो बार शिकायत जरूर होटल मालिक तक पहुंच गई थी,

मालिक कि और से सख्त हिदायत थी कि आगे से ऐसा हुआ तो नौकरी से जाओगे.

इन्हे सिर्फ मालिक का ही डर होता था बाकि तो राजा थे होटल मयूर के.

खेर दोनों अपनी मंजिल कि और बढ़ गए.


होटल सी टॉप व्यू

"कैसी बात कर रहे है आप?मैंने खुद बुकिंग कन्फर्म कि थी "

यहाँ मंगेश होटल के मैनेजर पे बरस रहा था.

मैनेजर :- आपकी बुकिंग कल को थी जो कि आप आये नहीं इसलिए रूम अलॉट नहीं हो सकता. और आज या कल के लिए कोई रूम खाली नहीं है बहुत भीड़ है भाईसाहब


मंगेश जलभून के रह गया क्या हो रहा है उसके साथ ऐसी गलती कैसे कर सकता है वो पहले टिकट कि तारीख गलत कर दी फिर होटल मे गलत बुकिंग का बोल दिया था

राजेश :- जाने दीजिये भैया बहुत होटल है हम कही और देख लेंगे

अनुश्री ने भी मंगेश को समझाया,लेकिन उसका दिल किसी अनजान सी आहट से कांप रहा था ना जाने क्या बात थी,उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा था.

चारो जाने लगे कि तभी पीछे से "रुकिए सर....एक होटल है "

पीछे से मैनेजर ने आवाज़ दी.

"मेरे जानने वाले का ही होटल है जो इस वक़्त खाली भी मिल जायेगा, लेकिन 5स्टार नहीं है, मतलब AC वगैरह कि सुविधा नहीं है"

सभी कि बांन्छे खिल गई लेकिन अनुश्री के चेहरे पे चिंता कि लकीर थी.

मैनेजर :- सोचिये मत मैडम होटल आपको सस्ता भीं पड़ेगा और वैसे भी यहाँ कोई खास गर्मी पड़ती नहीं है,आपको कौनसा रूम मे रहना है दिन भर तो घूमते फिरते ही रहेंगे "

मैनेजर कि बात सभी को जच गई.

मैनेजर ने होटल का कार्ड मंगेश को थमा दिया,

मंगेश ने कार्ड ले के देखा "होटल मयूर "

चारो चल पड़े होटल मयूर कि ओर.


तो क्या अनुश्री कि घबराहट व्यर्थ नहीं थी?

ये कैसी नियति थी कि जहाँ से अनुश्री भाग रही है वापस वही पहुंच जा रही है?

बने रहिये कथा जारी है.....

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