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वो कौन था?

  • वो कौन था?
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ये एक छोटी सी कहानी है एक शादी शुदा स्त्री कि,
कहानी अरवा शर्मा कि
जिसकी जिंदगी मे सब सुख है,अच्छा परिवार अमीर खानदान कि बहु, हैंडसम पति,नौकर चाकर सब कुछ जो एक संपन्न परिवार के पास होता है वो सब कुछ था अरवा के पास बस नहीं था तो सिर्फ एक औलाद.
सिर्फ एक औलाद का ही सुख नहीं था,शादी को 8 साल हो चले थे लेकिन खुशी ने उसके घर पे दस्तक ही ना दी कभी.
यही वो कांटा था जो उसके आलीशान महल मे धब्बे कि तरह था.
इन आठ सालो मे धीरे धीरे सभी का बर्ताव उसके लिए रुखा हो चला था.
अरवा का पति उम्मीद छोड़ चूका था उसका ध्यान सिर्फ अपने बिज़नेस मे था.
हालांकि आज भी अरवा किसी कुवारी कि तरह ही थी, कसा हुआ कामुक बदन 36D -30-38
बहार को निकलती मादक गांड,उभान भरते स्तन,सुडोल लचकती कमर
परन्तु
औलाद ना होने के गम ने उसके पति से मर्दाना ताकत ही खिंच ली थी.
अरवा का पति सिर्फ औलाद कि चाह मे सम्भोग करता, उसका काम सिर्फ अपने वीर्य को अरवा के गर्भ पहुंचाने भर तक था
इसे ही दोनों मियाँ बीबी सम्भोग मान के चलते थे.

खुद अरवा भी उम्मीद छोड़ चुकी थी, शारीरिक सुख क्या होता है उसे पता ही नहीं था.
पता होता तो क्या वो अपने भरे भारी जिस्म से अज्ञान रहती,
36 के बड़े कड़क एक दम तने हुए स्तन कि मालकिन थी अरवा.
कमर एक दम पतली,पेट बिल्कुल सपाट मात्र 30 इंच कि कमर
बाकि रही सही कसर उसकी बहार को निकली टाइट गांड पूरी कर देती थी.
चलती तो 38 इंच कि गांड के पल्ले आपस मे झगड़ पड़ते.
लेकिन क्या मूल्य इन सब का, वो कामदेवी रुपी पत्थर कि मूर्ति ही थी जिसके पास कमसिन जवान मादक बदन तो है लेकिन उसका कोई इस्तेमाल नहीं जानती वो अभागी.

अरवा कि खास बात ये है कि इन सब बदनसीबी के बाद भी उसका भगवान शिव पे अट्टु विश्वास है, शिव भगवान कि बहुत बड़ी भक्त है आज तक ऐसा कोई सोमवार ना हुआ जब वो शिव के दरबार ना गई हो.

उस वजह से उसकी सांस अच्छी खासी नाराज ही रहती उससे,पति भी अब रुखाई से पेश आता था.
आज महाशिवरात्रि का दिन था
महाशिवरात्रि थी ऊपर से सोमवार अरवा आज खूब अच्छे से तैयार हुई थी उसे आज भगवान शिव को ख़ुश करना ही था किसी पंडित कि सलाह से वो ऐसा कर रही थी.
"रामु रामु....उफ़ ये रामु कहाँ चला गया लेट हो रहा है मुझे " अरवा बड़बड़ाती हुई सीढ़ियों से नीचे उतरी.
"कहाँ चल दी महारानी? रामु बहार गया है काम से " अरवा कि सांस जो हॉल मे ही बैठी थी उसकी नजर अरवा पे पड़ी तो पूछ बैठी.
अरवा :- माँ जी आज महाशिवरात्रि है आज भगवान मेरी इच्छा जरूर पूरी करेंगे.
सांस :- जब कोख ही बंजर है तो भगवान क्या कर लेंगे हुँह...
अरवा कि सांस आज भी ताना मारने से बाज नहीं आई.
अरवा कि आँखों से आँसू फुट पड़े,उसके दिल मे चुभी थी ये बात.
अरवा मुँह नीचे किये बहार को चल दी,
अपनी कार ले वो मंदिर को चल पड़ी. उसके दिमाग़ मे खलबली मची हुई थी "क्या मै बाँझ हूँ,एक बच्चा तक पैदा नहीं कर सकती,भगवान ने मेरे साथ ही क्यों किया ऐसा?"
अपनी सोच मे डूबी अरवा ना जाने कब 20km का सफर तय कर गई उसे खुद पता नहीं चला.
सामने ही मंदिर था,भगवान शिव का प्राचीन मंदिर, चारो ओर से पहाड़ो और जंगल से घिरा सुन्दर पुराना मंदिर.
अरवा गाड़ी से उतर गई उसके जहन मे सिर्फ प्रार्थना थी अपनी कोख भरने कि प्रार्थना.
आस पास बैठे भिखारियों कि नजर उस पे ही थी वो भिखारी उसी का इंतज़ार करते हो जैसे..उस क़यामत को देखने के लिए.
"साली आज सोमवार है देख आ गई विलायती मैडम " पास बैठे एक भिखारी ने कहा
"हाँ यार देख तो सही क्या गांड है एक दम कसी हुई बाहर को निकली हुई " दूसरे भिखारी ने जवाब दिया
पहला भिखारी :- सुना है इसको बच्चा पैदा नहीं होता इसलिए यहाँ आती है.
दूसरा भिखारी :- इसका पति ही नामर्द होगा वरना इस जैसी औरत को तो लंड दिखा भी दो तो पेट से हो जाये देख तो कैसा गदराया बदन है इसका.
दूध देखे इसके?.
"सालो तुम्हारे यही काम है बस सुन्दर औरतों को देख लार टपकाने का , कितनी अच्छी मैडम है वो हर सोमवार हमें 50-50 रुपए दे के जाती है उसके बारे मे गन्दा बोल रहे हो " तीसरे भिखारी ने टोका
पहला भिखारी :- तो क्या हुआ है तो औरत ही ना वो भी ऐसी कामुक मदमस्त जिस्म कि मालकिन अब भला आंखे फोड़ ले क्या अपनी.
इन तीनो कि बातचीत मे अरवा उनके आगे से निकल गई तीनो सिर्फ आहे भरते ही रह गए
अरवा के चलने से उसकी गांड के पल्ले आपस मे रगड़ खा के ऊपर नीचे हो रहे थे.
इस एक दृश्य के लिए ही तीनो भिखारी तरसते थे बेचारे
उनकी किस्मत मे तरसना ही लिखा था

अंदर मंदिर मे

"टन टन टन.......हे भगवान क्यों नहीं सुनते हो, 5साल से सुनी है कोख मेरी.
रेखा के आँसू गिर रहे थे उसके हाथ मंदिर कि घंटी को बजाये जा रहे थे टन टन टन....
"बस करो बेटी भगवान सबकी सुनता है आज तेरी भी सुनेगा "
पीछे से मंदिर के पुजारी ने रेखा का ध्यान भंग किया
"तुम्हे पिछले कई सालो से देख रहा हूँ यहाँ आते हुए, सब मनोकामना पूर्ण होंगी तुम्हारी बेटी ये लो प्रसाद "
पुजारी ने प्रसाद अरवा कि तरफ बड़ा दिया
जिसे बड़े आदर के साथ अरवा ने ग्रहण किया
उसकी आंखे नम थी, ना जाने कब उसकी सुनेगा भगवान.

अरवा आँखों मे आँसू लिए हाथ मे छाले लिए मंदिर के बहार बढ़ चली
बाहर बैठे भिखारियों को वो हमेशा 50 -50 rs दिया करती थी
आज भी वही किया परन्तु आज ना जाने कैसे जैसे ही वो पैसे देने झुकी कही से एक ठंडा हवा का झोका आया और उसके पल्लू को गिराता चला गया.
तीनो भिखारियों के सामने उसके टाइट ब्लाउज मे कैद स्तन उजागर हो गए, आधे से ज्यादा ब्लाउज से बहार निकले हुए थे एक दम गोरे कसे हुए,उनके बीच कि गहरी घाटी साफ झलक रही थी.
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तीनो भिखारी के मुँह खुले के खुले ही रह गए उन तीनो कि नजर अरवा के अर्ध नग्न स्तन पे टीक गई.
अरवा को जैसे ही इस बात का अहसास हुआ वो तुरंत खड़ी हो गई,और पल्लू को सही कर लिया.
परन्तु जैसे ही उसकी नजर उन तीनो भिखारियों पे गई अरवा के तन बदन मे एक अजीब सी हलचल ने जगह ले ली वो तीनो किसी मूर्ति कि तरह जड़ हो गए थे,
मात्र अरवा के स्तन देखने भर से.
"आज एक आदमी कम है क्या " अरवा ने खुद को संभाल पूछा
सामने से कोई जवाब नहीं था
तुम मे आज कोई कम है क्या?मै जितने पैसे लाती हूँ उनमे से 50rs बच रहे है.
पहला भिखारी :- वो...वो.....मैडम....भोला नहीं आया है आज
उसके शब्द बड़ी मुश्किल से निकल पाए थे.
अरवा ना जाने क्यों मुस्कुरा दी इतने समय बाद आज उसके चेहरे पे मुस्कान आई थी ना जाने क्यों उसे अहसास हो चला था कि भिखारी कि हक़लाहतट कि वजह उसके स्तन ही थे.
उसे अजीब तो लगा लेकिन उन भिखारियों कि हालत देख खुद पे गर्व भी महसूस हुआ.
वो अपनी कार कि तरफ बढ़ चली और सड़क पे कार को दौड़ा दिया.
परन्तु जैसे ही उसे घर जाने का ख्याल आया वैसे ही उसकी सांस के कहे शब्द वापस से उसके दिल को चुभने लगे,उसकी मुस्कान गायब हो गई. उसे फिर से दुख और चिंता ने जकड लिया.
उसका घर अभी दूर था करीबन 15km दूर,बीच मे एक छोटा सा जंगल भी पड़ता था.
अरवा अपनी ही धुन मे कार चलाये जा रही थी,उसकी आंखे आँसू से धुंधली थी कि तभी "धममममममम.......कोई उसकी कार से टकरा गया
"चकरररररररम.....अरवा ने कार को जोरदार ब्रेक मारा" कार सड़क पे फिसलती हुई रुक गई थी,अरवा ने सामने देखा तो एक आदमी ओंधे मुँह कच्चे रास्ते पे गिरा पड़ा था
"ओ माय गॉड....ये क्या हुआ "अरवा कार से निकल दौड़ के उस आदमी कि तरफ भागी जो कि औंधे मुँह जमीन पे पड़ा था
"आअह्ह्हम्म्म..उउउमम्मी..कि कराह उसके हलक से निकल रही थी.
अरवा उस आदमी के पास पहुंच के झुक गई,उसने आदमी को पलटा के देखा तो हैरान रह गई उसे कोई खास चोट नहीं थी सर पे हल्का सा किसी चोट का निशान था जैसे कोई आंख हो,बाल ऐसे बिखरे थे जैसे बरसो से नहाया ना हो बिल्कुल आपस मे गूथ गए थे किसी जटा कि तरह लम्बे एक दूसरे मे गूठे हुए.
शरीर पे कपडे का कोई निशान नहीं सिर्फ एक गमछा जैसा लपेटा हुआ था अपनी कमर से नीचे.
"अअअअअ..अअअअअ.....तुम तुम तो वही हो जो मंदिर के बहार बैठते हो " अरवा ने पूछा
"मैंने तुम्हे मंदिर के बहार कई बार देखा है,आज तुम वहा नहीं थे. यह क्या कर रहे हो? घर कहाँ है तुम्हारा?"
अरवा एक ही सांस मे सारी बात कह गई.
"आअह्ह्ह.....मैडम जी " भोला थोड़ा सा कराहा
भोला ने हाथ से सड़क के उस पार इशारा कर दिया.
अरवा ने उसे उठाना चाहा तो उसका पल्लू सरसराता सा नीचे गिर गया एक गोरे सुडोल स्तन कि लाइन उभर के भोला के सामने आ गई
जैसे ही भोला कि निगाह उसके स्तन पे पड़ी अरवा को ऐसे लगा जैसे कुछ चुभा हो उसके स्तन पे,
अरवा चाह कर भी अपना पल्लू नहीं उठा पा रही थी उसे अचानक अपने स्तन भारी होते लग रहे थे.


"उठिये बाबा उसने भोला को सहारा दे उठा दिया,भोला अरवा से जा चिपका.
अरवा ने देखा कि भोला मजबूत कद काठी का व्यक्ति था इतनी तेज़ टक्कर लगने के बाद भी उसे कुछ नहीं हुआ था.
अरवा ने जैसे तैसे भोला को खड़ा किया,उसका पल्लू अभी भी नीचे धूल चाट रहा था.
भोला कि बाह अरवा के फुले हुए स्तन मे साइड से जा लगी,अरवा को ऐसे लग जैसे किसी ने उसके नंगे स्तन को छू दिया हो,ब्लाउज के ऊपर से हुए स्पर्श ने ही अरवा को झकझोर के रख दिया.
ऐसा लगा जैसे असीम ऊर्जा भरी हो इस स्पर्श मे.
अरवा ने खुद को हल्का सा अलग करते हुए पल्लू वापस से सही जगह रख लिया,सफ़ेद गोरी गोलाईया छुप गई थी लेकिन अरवा कुछ भारिपन महसूस कर रही थी अपने स्तन मे.
उसे अजीब से सीहरन महसूस हो रही थी, सांसे तेज़ हो गई थी
अब कहना मुश्किल था कि भोला कि छुवन कि वजह से या एक्सीडेंट कि वजह से.
"आइये बाबा मै आपको आपके घर छोड़ देती हूँ " अरवा ने भोला का हाथ उठा अपने कंधे पे रख लिया और चल पड़ी
सड़क से अंदर जाती एक पगडंडी पे अरवा उस भिखारी भोला को सहारा देती हुई चल पड़ी,आस पास झाड़ झंकार बढ़ती ही जा रही थी,अरवा ने पीछे मुड़ के देखा तो सड़क आँखों से ओझल हो चुकी थी.
अरवा का दिल किसी अनजानी शंका से घिरता चला गया,परन्तु ये उसकी जिम्मेदारी थी भोला को उसने ही टक्कर मारी थी.
जल्दी ही भोला का घर आ गया घर क्या था एक टूटी फूटी झोपडी सी थी. घने जंगल मे बनी घास फुस कि झोपडी
भोला जाते ही अपने टूटे फूटे बिस्तर पे गिर पड़ा.
भोला के गिरते ही अरवा ने देखा कि भोला का लंगोट हट गया है उसकी सांसे जहाँ थी वही अटक गई आंखे अपने कटोरे से बहार निकलने पे आतुर हो चली
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उसने ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा था एक काला सांप कि तरह मोटा लम्बा सा लिंग उस आदमी के जांघो के बीच झूल रहा था उसके नीचे किसी टेनिस बोल कि तरह दो बड़े बड़े टट्टे लटक रहे थे.
दोनों जांघो के बीच काले घने बालो का गुच्छा था, जैसे कोई घोंसला हो और एक काला नाग अपने दो अंडो के साथ उस घोसले मे बैठा हो.
"पानी पियोगी बेटी " भोला ने पूछा
अरवा बूत बनी खड़ी थी "मै मैममम..लेकिन बोल ना सकी उसका गला सुख गया था.
उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी,दिल धाड़ धाड़ कर छाती तोड़ बहार आने को बैचैन था
"मेरा नाम भोला है " भोला ने कहा
"पप्पाप्पल.....पता है " अरवा ने थूक गटकते हुए कहा
"तुझे कैसे पता " भोला मैडम से सीधा तू पे आ गया था.उसने खुद को सँभालने कि बिल्कुल भी कोशिश नहीं कि उसका लंगोट कमर तक उठा हुआ था
"वो....वो.... वहा के भिखारी ने बताया" अरवा जैसे तैसे बोल तो गई लेकिन उसकी नजरें वही जमीं हुई थी ना नजर हट रही थी ना ही उसके कदम.
"मै तुझे हर सोमवार मंदिर मे देखता था, तू इतनी सुंदर है,ऐसा गदराया जिस्म है फिर भी बच्चा नहीं है तुझे?" भोला सीधा सा बोल गया आखिर था ही भोला
भोला कि ये बात सुन अरवा के पैर काँपने लगे,उसने आज पहली बार अपने बदन कि तारीफ सुनी थी वो भी किस से एक भिखारी से "अअअअअ....आपको कैसे पता?"
भोला :- सब जनता हूँ मै तुझे देख के ही मालूम पड़ गया कि तुझे बच्चा नहीं है,
यही तो दुख था अरवा का आज भोला के मुँह से ये बात सुन उसकी नजरें झुक गई उसकी आंखे नम हो गई.
"अरे पागल रोती क्यों है,इसमें तेरी क्या गलती अब तेरे जैसे बदन को भोगने लायक शक्ति हर किसी के पास थोड़ी ना होती है, आ ले ले बच्चा " भोला ने अपने लंड को हाथ से पकड़ ऊपर कर अपने पेट से चिपका दिया.
भोला कि ये हरकत और बाते सुन अरवा पसीने पसीने हो गई सामने एक काला भयानक लिंग भोला के पेट पे लेटा था, "ककककम.....क्या बोल रहे हो तुम " अरवा ने आँसू पोछते हुए कहा
"वही जो तूने सुना आओ अपनी मनोकामना पूर्ण कर लो"
भोला ने अपने लंड को पकड़ के एक झटका दिया वो किसी चाबुक कि तरह झटके से भोला के पेट से टाकराया, वो चटटटट....कि आवाज़ सीधा अरवा के जहन पे जा लगी
उसके दिमाग़ मे पंडित के बोले गए शब्द गूंजने लगे "आज भगवान तेरी सुन लेगा "
अरवा को ये विचार आते ही ना जाने किस आवेश मे उसके कदम भोला को ओर बढ़ चले,वो ऐसी बदचलन स्त्री नहीं थी, ना जाने किस वशीकरण से बँधी थी उसके दिल मे एक हुक सी जग गई थी,उसका बदन उस मोटे काले लम्बे लंड को देख अपना नियंत्रण खो रहा था.
भोला जिस बिस्तर पे लेटा था अरवा वहा पहुंच चुकी थी उसका दिमाग़ कह रहा था चली जा यहाँ से ये सही नहीं है लेकिन उसका बदन पीछे हटने को तैयार हो तब ना.
भोला ने अरवा का हाथ पकड़ लिया "आआआहहहहब......अरवा के मुँह से हलकी सी सिसकारी फुट गई " भोला के हाथ मे एक अजीब सी गर्माहट थी जो अरवा के बदन मे समाने लगी
अरवा का बदन गर्म होने लगा.
"ये तेरा ही है अरवा पकड़ इसे" भोला ने अरवा के हाथ को पकड़ अपने लंड पे रख दिया
"आआआहहहहह.......इतना गरम " अरवा ने तुरंत हाथ पीछे खिंच लिया
उसका दिल सीना फाड़ देने पे उतारू था, पूरा बदन पसीने से लथपथ हो चला था
परन्तु भोला का हाथ नहीं छूटा " लिंग का अनादर नहीं करते अरवा बेटी ये तो पवित्र चीज है जीवन का संचार है इसमें यही तो नव जीवन कि नीव रखता है "
उस भिखारी भोला कि बातो मे जादू था एक वशीकरण था, उसकी बातो का जादू अरवा पे होने लगा था
वो भूल रही थी कि वो कहाँ है किसके साथ है उसे सिर्फ लिंग दिख रहा था भोला का लिंग.
अरवा ने अपने काँपते हाथो को आगे बड़ा दिया और धीरे से भोला के अर्धमुरछित लिंग पे रख दिया.
"आआआहहहहहब...उफ्फ़फ़फ़ग्ग..." दोनों के मुँह से एक साथ सिसकारी निकल गई.
" वाह बेटी क्या कोमल हाथ है तेरा,क्या मादक काया है तेरी " भोला ने तारीफ के पुल बाँध दिये.
अरवा जो कि पहले ही गरम हो चुकी थी इस तारीफ ने उसका मनोबल कई गुना बड़ा दिया उसके हाथ भोला के लिंग के चारो तरफ कसते चले गए,लंड इतना मोटा था कि पूरी तरह से मुठी मे समा तक नहीं रहा था.
भोला का हाथ अभी भी अरवा के हाथ पे ही था उसने अरवा के हाथ को पकड़ नीचे कि तरफ सरका दिया,फलसरुप भोला का लंड आगे से खुलता चला गया
कमरे मे एक मादक कैसेली गंध फ़ैल गई
अरवा के तो होश ही उड़ गए थे उसके सामने एक गुलाबी रंग का मोटा सा सूपाड़ा उभर आया था,उसमे से निकलती अजीब सी गंध अरवा के नाथूनो मे समाने लगी.
"आआहहहहह..... अरवा अब बिल्कुल होश मे नहीं थी उसकी गवाह उसकी सिसकारी थी,ये अजीब गंध थी.
"पास आ के सूंघ ना " भोला उसके मन को पढ़ रहा था
"कककक....क्या?" अरवा जैसे होश मे आई
भोला :- बच्चे पैदा करने के लिए सबसे पहले काम कला का ज्ञान होना जरुरी है सम्भोग कला आनी चाहिए
सम्भोग आनन्द के लिए हो तो फल जल्दी ही मिलता है.
बोलते हुए भोला ने अपना दूसरा हाथ अरवा के सर के पीछे रख उसे अपने लंड पे धकेल दिया
अरवा कि नाक के पास भोला का लंड झूल रहा था
अरवा ने आज तक ऐसा नहीं किया था उसे पता ही नहीं था इस चीज मे इतना आनन्द है
उसने एक लम्बी सांस भर ली "सससससनणणनईईफ्फ्फ्फफ्फ्फ़......आआहहहह.....
.अरवा का जिस्म एक पल मे कांप गया
वो पूरी तरह से मदहोश हो चली थी
उसे इस खुसबू ने इस कदर भावशून्य कर दिया था कि ना जाने कैसे उसकी जबान बहार आ गई और सीधा भोला के खुले सुपाडे पे टच हो गई

"आअह्ह्हभ....अरवा बेटी बड़ी जल्दी सिख गई " भोला कि बाते अरवा का हौसला बढ़ा रही थी
सम्भोग मे कोई किसी को कुछ सिखाता नहीं है बस हो जाता है अपने आप यही बात आज अरवा को समझ आ गई थी.
"इसे चुसो बेटी " भोला ने अरवा के सर पे दबाव दे उसे पूरा अपने लंड ले झुका लिया
एक मनमोहक खूसबु से अरवा का बदन गरमानें लगा.
लेकिन सर इंकार मे ही हिल रहा था क्युँकि उसने आज तक ऐसा कुछ नहीं किया था उसने कभी अपने पति कि लुल्ली भी नहीं चूसी थी.

भोला :- मना नहीं करते बेटी,ये तो प्रसाद है, हर सोमवार को मंदिर आ के मेरे सामने झुक झुक के अपने स्तन दिखाती थी आज शर्म आ रही है.
एक दम से भोला का व्यवहार बदलने लगा था, उसने अरवा के सर को पकड़ उसके होंठो को अपने लंड पे घिस दिया
"आआहहहहह......बाबा....बाबा.....क्या कर रहे है " अरवा भोला को बोल रही थी लेकिन रुक नहीं रही थी उसके होंठ भोला के लंड पे घिस रहे थे
उसे भोला का ये बदला हुआ मिजाज पसंद आ रहा था
"चल मुँह खोल.....चूस इसे " भोला जैसे ऑर्डर चला रहा था
भोला का लंड अरवा के होंठो कि छुवन से बिल्कुल तनतना गया था,एक दम सीधा खड़ा था
अरवा भोला के व्यवहर और लंड मे आये बदलाव को देख भोचक्की रह गई थी.
कहाँ अभी उसे काम कला का ज्ञान मिल रहा था कहाँ अब वो बेबस नजर आ रही थी.
अरवा ने हल्का सा मुँह खोल दिया "पकककककक....से भोला का लंड का सूपाड़ा अरवा के मुँह मे समा गया, एक अजीब सा स्वाद अरवा के मुँह मे घुल गया
"तुझे हर सोमवार देखता था अपनी गांड मटका मटका के बच्चा मांगती थी ना तू,अरे पागल गांड मटकाने से बच्चा पैदा होता है क्या भला.
"गू.गू...गू...गऊऊऊ....अरवा का मुँह सुपाडे से ही पूरा भर गया था.
भोला ने अपनी कमर को हल्का सा ऊपर उछाल दिया था लंड का थोड़ा सा हिस्सा और अंदर समा गया.
"तू मुझे भीख देती थी झुक झुक के अपने दूध दिखा के, स्तन दिखाने से उनमे दूध नहीं उतरता पागल औरत "चरररररररर......" भोला ने एक ही झटके मे अरवा के ब्लाउज को पकड़ के उसके बटन को तोड़ने हुए उसके स्तन को आगे से नँगा कर दिया
काले ब्रा मे कैद अरवा के स्तन पे बहार से आती ठंडी हवा ठोंकर मार रही थी.
परन्तु उसका मुँह भोला के लिंग से नहीं हटा,उसके निप्पल भोला के जाहिल पन से कड़क हो गए थे
वो सालो से इस प्यास मे तड़प रही थी,भोला का जंगलीपन उसे कही ना कही पसंद आ रहा था

"चूस इसे चूस मेरे लंड को....चूसेगी नहीं तो बच्चा कैसे लेगी " भोला ने एक जोरदार झटका मार दिया उसका लंड सीधा अरवा के गले तक समा गया.
"गुउउउउउउउउ......गऊऊऊऊ.....करती अरवा कि आंखे चौड़ी हो गई आंखे बहार आने को बेताब हो चली. जीभ बहार निकल के टट्टो को छू रही थी.
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अरवा के लिए ये सब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो भोला के जाँघ पे अपने हाथो को मारने लगी.
"जब तू सीढ़ी उतर के मंदिर जाती है तब सभी लोग तेरी इस मखमली मादक गांड को निहारते है chtttttttttt....से एक थप्पड़ साड़ी के ऊपर से ही अरवा कि गांड पे पड़ गया

"गऊऊऊऊ......करती अरवा के गले मे अभी भी भोला का लंड फसा हुआ था उसकी आँखों से आँसू निकल के गिरने लगे थे.
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भोला को शायद दया आ गई थी उसने होने हाथ को ढीला छोड़ दिया "आआहहहह.....खो खो.....उफ्फ्फग्ग...
खःह्ह्ह्हहोओओओ....अरवा ने अपना सर ऊपर उठा लिया उसके मुँह से ढेर सारा थूक निकल के भोला के लंड पे गिर पड़ा.
भोला का लंड अरवा के थूक से चमक रहा था जैसे अरवा ने उसका जल अभिषेक किया हो.
भोला ने अरवा को पलभर कि फुर्सत भी ना लेने दी और उसे पकड़ के उठा दिया वो अभी भी हांफ रही थी लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी "इसी गांड को मटकाती है ना तू चट...चट...करते दो थप्पड़ उसकी गांड पे पड़ गए.
साड़ी खुल के नीचे पैरो पे एकाट्ठी हो गई थी.
अरवा एक भिखारी के सामने सिर्फ पेटीकोट ब्रा मे हांफ रही थी विरोध करने का तो वक़्त ही नहीं था उसके पास
वक़्त नहीं था या वो चाहती ही नहीं थी.
"क्या बड़ी गांड है रे तेरी " बोलते हुए भोला ने पेटीकोट के नाड़े को पकड़ के खिंच दिया
"सररररररम......करता हुआ पेटीकोट भी अरवा के पैरो मे जमा हो गया "
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सामने का नजारा देख भोला के लंड ने बगावत ही कर दी,सामने अरवा जैसी कामुक मादक जिस्म कि मालकिन मात्र छोटी सी पैंटी और ब्रा मे खड़ी थी.
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ऐसा कामुक गदराया खिला हुआ बदन देख के तो इंद्र का सिंघाहासन भी डोल जाता ये तो भोला था.

भोला से रहा नहीं गया उसने अपने घुटने जमीन पे टिका दिये और अरवा कि दोनों जांघो के बीच अपना मुँह घुसा दिया
अरवा तो अभी तक इन सब से बाहर भी नहीं आई थी कि ये कामुक हमला हो गया उसके पति ने भी आज तक ऐसी हरकत नहीं कि थी
."वाह क्या खुसबू है रे तेरी चुत कि " भोला ने पैंटी के ऊपर से ही अरवा कि चुत कि खुसबू को अपने जिस्म मे भर लिया
अरवा ने जैसे ही चुत शब्द सुना उसकी चुत मे एक कर्रेंट सा दौड़ गया,कितना कामुक शब्द था" चुत " एक औरत का अनमोल खजाना "चुत"
अभी अरवा कुछ समझ पाति कि सररररर.....करती उसकी पैंटी भी जमीन चाटने लगी
भोला कि नजर जैसे ही सामने पड़ी उसके प्राण निकलने को हाजिर हो चले
सामने अरवा कि गोरी जांघो के बीच मात्र एक लकीर थी चुत के नाम पे बारीक़ सी लकीर.फूली हुई कामुक बिल्कुल चिपकी हुई चुत
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"तेरी शादी को इतने साल हो गए तेरी चुत अभी तक खुली ही नहीं " भोला बेकाबू हो गया तुरंत उसने अपने काले होंठो को सीधा उस पतली रस से भीगी लकीर पे रख दिया.
"आआआहहहहह.......करती अरवा अब काबू मे नहीं थी उसने अपने दोनों हाथो को भोला के सर पे रख सहला दिया जैसे तो वो कब से ये सब चाह रही थी.
एक औरत कि खास बात ही यही होती है जब उसे अपने बदन कि कामुकता कि जानकारी होती है तब वो स्वम ही उसका आनन्द लेने के तरीके खोज लेती है
आज अरवा भी ऐसे ही आनन्द को महसूस कर रही थी सम्भोग कला का आनन्द.
भोला चुत चाटे जा रहा था,अरवा के पैर जवाब दे रहे थे जाँघे कांप रही थी बदन पसीने से लथपथ हो चला था
"आआआहहहहह...बाबा...आआआहहहहह....चाटो इसे..आआहहहह....
.अरवा बड़बड़ाने लगी थी.
आआहहहहह......बाबा मै गई..." बोलती अरवा कि चुत से कामरस कि एक तेज़ धार बह गई...चुत से पानी इस कदर निकला जैसे कोई बाँध टूट गया हो भोला का पूरा जिस्म उसके चुत रस से भीग गया.
अरवा धड़ाम से जमीन पे बैठ गई एक दम नंगी पसीने से भीगी हाफती हुई भोला के भीगे बदन को देख रही थी जो उसके चुत से निकले रस से सना हुआ था
उसे खुद को ताज्जुब था कि इतना पानी कैसे निकला
आज तक ऐसा नहीं हुआ था.
इस कदर पहली बार झड़ी थी अरवा,जैसे उसकी आत्मा ही चुत के रास्ते निकली हो.
अभी अरवा कि सांसे काबू मे आई भी नहीं थी कि भोला उसकी और बढ़ चला अरवा कि टांगे फैली हुई थी दोनों जांघो के बीच मात्र एक लकीर थी जो कि बुरी तरह से चिप चिपे पानी से सरोबर थी
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भोला को अपनी तरफ बढ़ता देख उसे समझ आ गया था कि अब क्या होना है इतनी भी अनाड़ी नहीं थी अरवा.
भोला ने उसकी दोनों जांघो के बीच अपने घुटने टेक दिये थे.
उसका भयानक काला लंड अरवा कि लकीर रूपी चुत से जा लगा.
आआहहहह.......मात्र इस छुवन से ही अरवा के हलक से कामुक सिसकारी फुट पड़ी.
भोला अरवा के बदन पे झुकता चला गया साथ ही उसका लंड भी अरवा कि चुत पे दबाव बनाने लगा
चुत और लंड इस कदर गीले थे कि पच..कि आवाज़ के साथ भोला के लंड का सूपड़ा अरवा कि छोटी से बालरहित चुत मे समा गया.
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"आआआहहहहहह.....अरवा भीषण दर्द से कराह उठी,परन्तु भोला ने उसे इस कदर जकड़ लिया था कि वो एक इंच भी ना हिल सकी
भोला :- बस बेटी हो गया बोलते हुए एक जबरजस्त धक्का भोला ने दे मारा
"आआआहहहहह......आआआहहहहह.....अरवा को ऐसे लगा जैसे उसके पेट मे किसी ने चाकू मार दिया हो भीषण दर्द से पूरा जंगल गूंज उठा.
परन्तु भोला को कोई मतलब नहीं था " कुछ पाने के लिए थोड़ा सहना भी पड़ता है अरवा बेटी "
भोला बदस्तूर अपने लंड को पीछे खिंच वापस से जड़ तक अंदर डाल देता.
अरवा के मुँह से सिर्फ दर्द भरी आआहहहहह..सिसकारी निकल पड़ती
परन्तु ना जाने ये दर्द भरी सिसकारी कब आनंद कि सिसकारी मे बदल गई उसे खुद पता ना चला
"आअह्ह्ह....आअह्ह्ह.....बाबा और जोर से...आअह्ह्ह....अंदर तक...आअह्ह्ह...." अरवा भोला को उकसा रही थी और अंदर डालने के लिए.
अब तक जिस लंड से वो खौफ खा रही थी उसी लंड को पूरा का पूरा अंदर निगल ले रही थी.
हाय रे नारी....भगवान भी ना समझ पाया ये तो था ही भोला
छप छप छप.....ठप ठप ठप....फच फच फच...कि आवाज़ झोपडी मे गूंज रही थी.
भोला के टट्टे अरवा कि गांड से जा टकराते.
अब अरवा भी अपनी कमर को ऊपर उठा उठा के भोला का पूरा सहयोग कर रही थी

लगभग 1घंटे बाद "आआहहहह...बाबा.....जोर से मेरा आने वाला हैऔर जोर से डालो " इस एक घंटे मे ही कितना खुल गई थी अरवा

भोला जो कि खुद भी पसीने से नहा गया था " आआहहब.......आअह्ह्ह.....अरवा बेटी क्या कसी चुत है तेरी आआहहहह....तेरी सारी मनोकामना पूर्ण हो "

आआहहहह......फच...फाचक...करता भोला अरवा कि चुत मे ही झड़ने लगा
साथ ही अरवा कि चुत ने भी एक बार फिर पानी फेंक दिया

झोपडी मे सन्नाटा छा गया था सिर्फ दो जिस्मो कि साँसो कि आवाज़ गूंज रही थी.
आज अरवा का जिस्म तृप्त हो गया था उसे असीम शांति कि अनुभूति हो रही थी.
बाहर सूरज ढलने लगा था.
भोला ने धीरे से अपने लंड को अरवा कि चुत से बाहर खिंच लिया,अरवा को ऐसा लगा जैसा साथ मे उसकी चुत भी खींची चली आएगी.
"आआहहहह....बाबा आराम से "
भोला का लंड पुकककक....से बहार आ गया,
साथ ही ढेर सारा वीर्य और चुत रस का मिला जुला शरबत भी अरवा कि चुत से बहता हुआ जमीन भीगाने लगा.
"जाओ बेटी अब शाम हो चली है तुम्हारे घर वाले तुम्हारी राह देखते होंगे " भोला ने अपने गमछे को वापस अपनी कमर पे लपेटते हुए कहा
परन्तु ना जाने क्यों अरवा उठी नहीं उसकी आँखों मे प्रश्न था कि एक आदमी कभी जंगली तो कभी सभ्य कैसे हो सकता है.वो अभी भी भोला को देखे जा रही थी
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"तुम जैसी कामुक मादक बदन कि स्त्री को भोगने के लिए इस जंगलीपन कि ही आवश्यकता होती है बेटी अब जाओ जल्दी रात होने वाली है " भोला जैसे अरवा कि मन कि बात समझ गया था
अपनी लुंगी लपेटे झोपडी के बाहर चला गया एक बार भी अरवा के नंगे जिस्म कि ओर नहीं देखा
अरवा अपने प्रश्न का उत्तर पा जैसे होश मे आई.
भोला को जाता देखती रही,फटा फट उसने अपने कपडे संभाले और झोपडी से बहार को दौड़ गई भोला आस पास कही भी नहीं था,सूरज ढल रहा था.
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वो अपनी साड़ी और अधखुले ब्लाउज को संभालती हुई पगडंडी पे दौड़ पड़ी.
उसकी कार सामने ही थी,पल भर मे कार सड़क पे दौड़ रही थी उसको यकीन नहीं ही रहा था जो अभी हुआ.
क्या हुआ कैसे हुआ पता नहीं...
इस घटना को 6 दी बीत गए थे.
सोमवर कि सुबह
"आप माँ बनने वाली है,मुबारक हो " अरवा अपने पति और सासु माँ के साथ क्लिनिक मे बैठी थी सामने डॉक्टर उसकी रिपोर्ट हाथ मे थामे खड़ा था
पुरे परिवार का ख़ुशी के मारे बुरा हाल था.
"मुझे मंदिर जाना है " अरवा ने अपने पति को क्लिनिक से बहार आते हुए बोला
"मेरी जान अब तो जो तुम बोलो वो हाजिर है तुम्हारे लिए " पति ने जवाब दिया
अरवा कि कार मंदिर के रास्ते दौड़ चली उसे भगवान का धन्यवाद कहना था उस से भी ज्यादा भोला का जिसकी वजह से उसे ये मान सम्मान उसकी इज़्ज़त प्यार वापस मिला था

अरवा मंदिर पहुंच चुकी थी दर्शन करने के बाद वो मंदिर के बहार बैठे भिखारियों के पास पहुंची.
सभी को 50-50rs दान किये आज फिर एक 50 का नोट बच गया था
"वो भोला नहीं आया आज " अरवा ने दूसरे भिखारी से पूछा
"क्या मेमसाहेब वो तो ना जाने कहा मर गया कब से नहीं आया " भिखारी ने जवाब दिया
अरवा का दिल बैठने लगा उसे बहुत इच्छा थी कि वो भोला को शुक्रिया कह पाति

"आओ चलते है अरवा अब तुम्हे अपना ध्यान रखना चाहिए " अरवा के पति ने उसका हाथ प्यार से थामते हुए कहा
कार वापस से उसी कच्चे रास्ते पे दौड़ चली

"रुको....रुको तो जरा " अरवा ने अपने पति को कार रोकने को कहा उसे वही जगह दिखाई दी जहाँ उसकी गाड़ी से भोला का एक्सीडेंट हुआ था.
"क्या हुआ मेरी जान "
अरवा ने अपनी छोटी ऊँगली उठा के पेशाब का इशारा किया "
"अच्छा जल्दी करो "
अरवा कार से नीचे उतर गई और जंगल मे अंदर उसी पगडंडी पे चल पड़ी जहाँ से उसकी खुशियों कि शुरुआत हुई थी.
वो उसी जगह पहुंच गई लेकिन वहाँ कुछ नहीं था ना झोपडी ना भोला.
वो पलट चली सर झुकाये उसकी आँखों मे आँसू थे परन्तु ख़ुशी के आँसू.
कार मे आ के बैठ गई.
"बड़ी देर लगा दी तुमने "
परन्तु अरवा ने अपने पति के सवाल का जवाब नहीं दिया उसके जहन मे एक ही सवाल बार बार गूंज रहा था

आखिर.....आखिर...
"वो कौन था?"
समाप्त

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